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नवरात्र में कलश स्थापना का है विशेष महत्व, जानिए इससे जुड़े रोचक तथ्य

locationजबलपुरPublished: Mar 10, 2018 01:45:09 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

मान्यता है कि कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं

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जबलपुर। हिन्दू धर्म में मनाएं जाने वाले महत्वपूर्ण पर्वों में नवरात्र भी शामिल है। यह त्योहार बेहद श्रृद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। नौ दिनों का यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित है। वैसे तो नवरात्र में वर्ष में दो बार होती है। लेकिन प्रथम नवरात्र हिन्दू नववर्ष के साथ शुरू होता है। इसे चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। जिसका समापन 26 मार्च, 2018 को होगा। उत्तर भारत में इस पर्व का खास महत्व है। यहां नवरात्र में कलश स्थापना की परंपरा है।

ऐसे आएगी सुख और समृद्धि
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का खास महत्व होता है। लेकिन यह फलदायी तभी है जब कलश की स्थापना विशेष और सही मुहूर्त में हुई हो। हिन्दू शास्त्र में भी इस बात का जिक्र किया गया है की कलश स्थापना सही मुहूर्त में ही करना चाहिए, ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि आती है।

रविवार के दिन शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2018 कलश स्थापना प्रतिपदा तिथि पर होगी। जो द्वि-स्वभाव मीन लग्र में संपन्न होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार प्रतिदिन तिथि का आरंभ 17 मार्च, 2018 शनिवार को शाम 8.41 बजे से होगा। इसका समापन 18 मार्च, 2018 रविवार को शाम 6.31 पर होगा। कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त की अवधी 1 घंटा 15 मिनट की है। सुबह 6.31 से 7.46 बजे के बीच कलश स्थापना शुभ है।

दैवीय मातृ शक्तियों का निवास
हिन्दू शास्त्रियों का मानना है कि कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि कलश के मुख में विष्णुजी का निवास है। कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं। कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।

कलश स्थापना की आवश्यक सामग्री
– कलश स्थापना के लिए मिट्टी ,सोना, चांदी, तांबा अथवा पीतल का कलशनुमा पात्र लें।
– लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
– जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र और शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें जौ को बोया जा सके।
– कलश में भरने के लिए शुद्ध जल। अगर गंगाजल मिल जाये तो उत्तम माना जाता है।
– कलश में रखने के लिए कुछ सिक्का
– ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल
– पानी वाला नारियल और इस पर लपेटने के लिए लाल कपडा
– आम के पत्ते और फूलमाला
– मोली, लाल सूत्र
– साबुत सुपारी और दूबा
– पंचामृत

ऐसे करें कलश स्थापना
सबसे पहले पूजा स्थल जहां कलश स्थापित किया जाना है, को शुद्ध कर लें। उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछा लें। इस कपड़े पर थोड़ा चावल डालें। इसके बाद आंखें बंद करके भगवान गणेश का स्मरण करें। इसके बाद मिट्टी के पात्र में जौ बोना चाहिए। फिर पात्र के ऊपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित किया जाना चाहिए। कलश के मुख पर लाल रंग का रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। पात्र के चारों तरफ रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए। कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूबा, फूल और सिक्कें डालना चाहिए। कलश मुख्य में आम के पत्ते रखने की परंपरा है। इसके ऊपर नारियल रखकर लाल कपड़ा रखा जाता है। नारियल को खड़ा करके कलश के ऊपर रखा जाता है। नारियल का मुख ऊपर की तरफ होना चाहिए। ऐसा करना लाभदायी माना जाता है। इसके बाद कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें कि नवरात्र के नौ दिनों के लिए वह इसमें विराजमान हो। फिर दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल-मिठाई और भोग प्रसाद लगाएं।

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