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नवरात्रि पर बड़ी खेरमाई में नहीं मिलेगा श्रद्धालुओं को प्रवेश, समिति ने लगाई पाबंदियां

locationजबलपुरPublished: Apr 10, 2021 03:16:42 pm

Submitted by:

Lalit kostha

बैठक में निर्णय: चैत्र नवरात्र पर कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से होगा पालन

 badi khermai temple

badi khermai temple

जबलपुर। शहर के सबसे पुराने शक्तिपीठ बड़ी खेरमाई मंदिर मैदान में चैत्र नवरात्र पर लगने वाला मेला इस वर्ष नहीं लगेगा। मंदिर में किसी श्रद्धालु को प्रवेश नहीं मिलेगा। गेट से ही माता का दर्शन करना होगा। मंदिर समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। परिसर के सभी मंदिरों में यह व्यवस्था लागू रहेगी। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट आदर्शमुनि त्रिवेदी के अनुसार बैठक में नवरात्र के अवसर पर मंदिर परिसर में कोरोना गाइडलाइन का पालन करने का फैसला लिया गया। परिसर को सेनेटाइज कराया जा रहा है। किसी को भी बिना मास्क के प्रवेश नहीं मिलेगा। सोशल डिस्टेंसिंग का खयाल रखा जाएगा। गेट के सामने कोई दुकान नहीं लगने दी जाएगी। सीसीटीवी कैमरों से लगातार निगरानी रखी जाएगी।

दुर्गा शप्तशती का होगा पाठ
सीनियर एडवोकेट त्रिवेदी ने बताया कि इस बार नवरात्र मंदिर में 101 ज्योतिकलश स्थापित किए जाएंगे। नवरात्र के नौ दिनों दुर्गासप्तशती का पाठ होगा। बैठक में सचिव शशिकांत मिश्रा, उपाध्यक्ष शरद अग्रवाल, अनिल पाल, राहुल चौरसिया, सुरेश आहूजा, जयकांत उपाध्याय, आशीष त्रिवेदी, दीपचंद साहू, लीलाधर रैकवार मौजूद थे।

 

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बगलामुखी मठ में स्थापित होंगे 1100 ज्योति कलश
चैत्र नवरात्र पर बगलामुखी मठ में कोरोना के चलते इस वर्ष भक्तों को माता के दर्शन दूर से होंगे, लेकिन अखंड ज्योतिकलश की संख्या पहले से कम नहीं होगी। मंदिर समिति के मनोज सेन ने बताया कि हर साल नवरात्रों में यहां 1100 कलशों की स्थापना शहर और शहर से बाहर रहने वाले भक्त कराते हैं।

21 साल पहले हुई थी स्थापना
पुजारी ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज ने बताया कि मंदिर का भूमिपूजन 18 जुलाई 1999 को हुआ और 7 फरवरी 2000 को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने मां पीतांबरा की स्थापना की। इसके दूसरे दिन ही शंकराचार्य आश्रम का शुभारम्भ हुआ। मंदिर दक्षिण भारतीय शैली पर तैयार किया गया है। दोनों नवरात्र के अलावा कार्तिक माह के बाद शत्रुनाशक यज्ञ, पौष में सूर्य अर्चन, वैशाख में पंच महाआरती, सावन में शिव महापुराण और शिवलिंग निर्माण और श्रीमद् भागवत कथा के साथ ही गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में शामिल होने हर वर्ग के लोग पहुंचते हैं।

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