त्यौहारों पर मिलता है बेहतर मौका
त्योहार चाहे दशहरा हो, दिवाली हो या फिर गणेशोत्सव। संस्कारधानी में हर त्योहार का जोश, उमंग और उत्साह अलग होता है। सभी एक साथ मिलकर हर त्योहार में शामिल होते हैं। एक साथ ही मनाते हैं। इन्हीं त्योहारों के दौरान शहर के कई कलाकारों को भी अपनी पहचान बनाने और हुनर को तराशने का मौका मिलता है। जिसमें माटी के कलाकारों से लेकर फोटोगाफर्स तक शामिल हैं।
माटी के कलाकार
घमापुर, शीतलामाई, चेरीताल, कछपुरा, ग्वारीघाट में जहां मूतियोंं का निर्माण करने वाले कलाकार रहते हैं। वहीं इनके परिवार के युवा भी अपनी पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
युवा आ रहे आगे
इसमें युवाओं के कंधों पर जिम्मेदारी ज्यादा है। साथ ही शहर के चुनिंदा स्थानों पर इन कलाकारों के हुनर की बानगी देखने को मिलती है। संस्कारधानी इन दिनों नवरात्र के रंग में रंगी हुई है। साथ ही मोहर्रम भी चलेगा। दोनों ही पर्वों के दौरान पूरा शहर दुल्हन की तरह सजा हुआ दिखाई दे रहा है। इसके लिए हर कोई अपनी कला निखारने में जुटा हुआ है। ये कलाकार आपको भी शहर के मुख्य दशहरा चल समारोह, गढ़ा, सदर, आधारताल, ग्वारीघाट जैसे क्षेत्रों में अपने हाथों में कैमरा पकड़े हुए नजर आ जाएंगे, जिनमें आप भी शामिल हो सकते हैं।
तस्वीरों के जादूगर
फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी आज के युवाओं का फेवरिट शगल है। इसलिए वे त्योहारों में ही सबसे ज्यादा सडक़ों पर नजर आते हैं। इस दौरान अलग-अलग संस्कृतियों और परम्पराओं का मेल उन्हें कैमरे में कैद करने को मिलता है।
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां को समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। इनकी आराधना से आपदाओं से मुक्ति मिलती है।
चंद्र दर्शन- गहरा नीला
चंद्र दर्शन के दिन नीला रंग पहने। नीला रंग शांति और सुकून का परिचायक है। सरल स्वभाव वाले सौम्य व एकान्त प्रिय लोग नीला रंग पसन्द करते हैं।
ब्रह्मचारिणी पूजा- पीला
नवरात्र के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की आराधना की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है।
चंद्रघंटा पूजा- हरा
नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को भौतिक , आत्मिक, आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है।
कुष्माण्डा पूजा- स्लेटी
नवरात्र के चौथे दिन मां पारांबरा भगवती दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था , तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।
स्कंदमाता पूजा- नारंगी
नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना अपने आप हो जाती है। नारंगी रंग ताजगी का ***** है।
कात्यायनी पूजा- सफेद
नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा।
कालरात्रि पूजा- गुलाबी
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है।देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है।
महागौरी पूजी- आसमानी नीला
दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। जिनके स्मरण मात्र से भक्तों को अपार खुशी मिलती है, इसलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं।