ठेके पर दी थी संचालन की व्यवस्था
मप्र पर्यटन विकास निगम ने लेजर शो के संचालन का जिम्मा भोपाल के एक ठेकेदार को सौंपा था। हर महीने ठेकेदार को 1.५50 लाख रुपए का भुगतान करना होता है। इसके अलावा टिकट काउंटर व स्वीपर पर 40 हजार रुपए के लगभग मासिक खर्च होता है। यानी महीने पर दो लाख रुपए के लगभग खर्च है। जबकि, शो के टिकट से बमुश्किल 35-40 हजार रुपए मासिक आय हो रही थी। स्कूल-कॉलेजों में परीक्षा के साथ ही पर्यटन के लिहाज ऑफ सीजन होने के कारण शो मार्च में अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया था।
शुरुआती महीनों में अच्छी हुई आय
पिछले साल मई में लेजर शो शुरू होने के बाद शुरुआती महीनों में लेजर शो से 3 लाख रुपए प्रति महीने तक आय हुई है। इसके बाद आय घटती गई। जनवरी-फरवरी महीने की कुल आय 60 रुपए थी।
जेटीपीसी की बैठक में होगा निर्णय
शो संचालन को लेकर निर्णय जेटीपीसी की बैठक में लिया जाना है। सम्भावना जताई जा रही है की जेटीपीसी जल्द ही नई व्यवस्था के तहत एक कम्प्यूटर ऑपरेटर, दो तकनीकी कर्मचारी रखकर शो का संचालन करेगा।
खर्च निकालना भी मुश्किल
जेटीपीसी के सीईओ हेमंत सिंह के अनुसार लेजर शो से आय कम हो गई थी, महीने पर संचालन का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा था। इसके कारण जिला प्रशासन के निर्णय पर कुछ समय के लिए शो का संचालन बंद किया गया था। जल्द ही जेटीपीसी की बैठक कर शो फिर से शुरू किया जाएगा।
यह है स्थिति
307 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट पर खर्च हुए
25 लाख रुपए से वाटर टैंक व कं ट्रोल रूम बनाया
55 लाख रुपए कं स्ट्रक्शन व एमफीथियेटर पर खर्च हुए
30 लाख पब्लिक एमिनिटी
01 करोड़ 25 लाख उपकरणों की लागत
10 लाख टिकटिंग प्लाजा
15 लाख से पार्किंग का विकास
02 लाख की डस्टबिन
05 लाख रैलिंग
10 लाख सोविनियर शॉप