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सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए 40 करोड़ रुपए होंगे खर्च
न्यूरो सर्जरी विभाग में अमेरिका की तरह बनेगी ट्रेनिंग लैब
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के होना है ये काम
08 करोड़ रुपए से नए भवन का निर्माण
20 करोड़ रुपए से सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं
12 करोड़ रुपए से आधुनिक उपकरणों की स्थापना
अभी ये है ट्रेनिंग व्यवस्था
न्यूरी सर्जरी के पीजी स्टूडेंट्स की फिलहाल अंडर कवर ट्रेनिंग होगी। जानकारों के अनुसार पहले चरण में जूडॉ 30-50 केस देखते हैं। उसके बाद सीनियर डॉक्टर के निर्देशन में सर्जरी करते हैं। आखिरी चरण में सीनियर डॉक्टर की निगरानी में सर्जरी का मौका मिलता है। नई ट्रेनिंग लैब बनने के बाद सर्जरी से सम्बंधित जटिलताओं की स्टूडेंट को समझ सिमिलेटर पर किए गए प्रयोग से मिल जाएगी। मरीजों की परेशानी, बीमारी को समझकर वे अपेक्षाकृत और बेहतर उपचार सुविधा सुनिश्चित कर सकेंगे।
बारीकियों को समझने में होगी आसानी
जानकारों के अनुसार अमेरिका में स्टूडेंट्स को सिमिलेटर पर प्रशिक्षित किया जाता है। इसी तर्ज पर मेडिकल कॉलेज में न्यूरों सर्जरी की आधुनिक ट्रेनिंग लैब बनाई जा रही है। इसमें मस्तिष्क की जटिलता और आंतरिक अंगों की बेहतर समझ के लिए इंसानी सिमिलेटर होंगे। दिमाग में गांठ जैसी बीमारियों को समझाने के लिए सिमिलेटर होंगे। ये लैब माइक्रोस्कोप, दूरबीन सहित अन्य जरूरी उपकरणों से लैस होगी।
न्यूरो सर्जरी विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत जूनियर डॉक्टर्स को प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग लैब बनाने की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इसके निर्माण से विद्यार्थियों को अमेरिका जैसी प्रशिक्षण व्यवस्था उपलब्ध होगी।
– डॉ. वायआर यादव, एचओडी, न्यूरो सर्जरी