बीए, एमए और फिर बीएचएमएस कर बन गया
डॉ. संतोष की गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने उससे पूछताछ की, तो उसने बताया कि उसने पहले बीए पास की, उसके बाद उसने एमए किया। जब उसे इसके बाद भी कोई नौकरी नहीं मिली, तो उसने बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथी मेडिकल साइंस) की पढ़ाई की और डॉक्टर बन गया। इसी दौरान उसकी मुलाकात डॉ. नि शिंत गुप्ता, सुरेश और संजय से हुई। जिसके बाद चारों ने अस्पताल खोलने का प्लान बनाया।
25 प्रतिशत का था पार्टनर
पुलिस को जांच में पता चला गिरफ्तार संतोष सोनी अस्पताल में 25 प्रतिशत का पार्टनर था। वह मरीजों की जांच ऐसे किया करता था, जैसे वह एमबीबीएस या फिर एमडी डॉक्टर हो। अस्पताल में भर्ती मरीजों ने भी इसकी पुष्टी की कि वह मरीजों को दवाएं भी लिखता था। हालांकि पुलिस की पूछताछ में संतोष यह कहकर बचने का प्रयास करता रहा कि वह केवल मैनेजमेंट का काम देखता है।
घटना के वक्त अस्पतला में था मौजूद
पुलिस को पहले तो संतोष ने गुमराह करने का प्रयास किया, लेकिन जब पुलिस टीम ने उससे क़ड़ाई से पूछताछ की, तो वह टूट गया। उसने बताया कि जिस वक्त अस्पताल में आग लगी, वह अस्पताल में ही मौजूद था। आग लगने के बाद वह अपनी जान बचाकर बाहर निकला और फिर मौका पाकर वहां से भाग निकला था।
रिमांड खत्म
मामला दर्ज करने के बाद पुलिस ने बुधवार को सहायक मैनेजर राम सोनी को गिरफ्तार कर लिया था। राम को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया था। रिमांड खत्म होने पर उसे बुधवार को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
यह है मामला
सोमवार को अस्पताल में आग लगने के कारण कंचनपुर निवासी वीर सिंह, मानिकपुर निवासी अमर यादव, अनुसुइया यादव, आगासौद माढ़ोताल निवासी दुर्गेश सिंह, नरसिंहपुर निवासी महिमा जाटव, सतना निवासी स्वाती वर्मा उर्फ सुभाती, खटीक मोहल्ला निवासी तन्मय विश्वकर्मा और उदयपुर बीजादांडी निवासी संगीता मरावी की मौत हो गई थी। पांच मरीज घायल है।
वर्जन
अस्पताल के डायरेक्टर अधारताल महाराजपुर निवासी डॉ संतोष सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस रिमांड खत्म होने पर सहायक मैनेजर राम सोनी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
तुषार सिंह, डीएसपी