जनरेटर लगाया लेकिन विद्युत भार का ऑडिट नहीं कराया, निर्माण भी अवैध था
सूत्र बताते हैं कि हादसे की जांच करने पहुंची जांच टीम ने कई मानकों को देखा। जांच में एक भी सुरक्षा के ऐसे इंतजाम नहीं मिले। ताकि, किसी बड़े हादसे में लोग बचाव कर सकें। जांच टीम ने पाया कि अस्पताल के प्रवेश द्वार पर ही जनरेटर रखा था। 30 फिट भवन का प्रवेश द्वार था। इसमें से मात्र 10 फिट का ही प्रवेश द्वार था। एक ही द्वार से जाने और बाहर आने का रास्ता था। आपात स्थिति में बचने के लिए कहीं से कोई रास्ता नहीं था।
बिजली ऑडिट नहीं कराया: नियमानुसार संस्थान में जनरेटर लगाने के साथ ही बिजली ऑडिट भी कराया जाता है। ध्यान रखा जाता है कि स्वीकृत भार कितना है? जनरेटर का भार कितना है? गड़बड़ी का एक कारण यह भी था। अस्पताल में कार्यरत स्टॉफ को आपात स्थितियों से निपटने के लिए फायर उपकरणों को ऑपरेट करने का प्रशिक्षण दिया जाना था। अस्पताल में कार्यरत स्टॉफ को इसका प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। कर्मचारियों को इस बात का भी प्रशिक्षण नहीं दिया गया कि संकट के समय कहां से और कैसे निकल कर स्वयं को और मरीजों को सुरक्षित करें।
निरीक्षण के बाद कमिश्नर चंद्रशेखर ने कहा कि न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सीएमएचओ की तरफ से जो एनओसी जारी की गई है उसकी जांच भी की जाएगी। बताया जाता है कि इस एनओसी में सभी चीजें ठीक होने की बात कहते हुए एनओसी जारी कर दी गई। वास्तविकता कुछ और ही थी।
कमिश्नर बी. चंद्रशेखर के साथ जांच टीम अस्पताल पहुंची। उन्हों अस्पताल के बाहर रखे जनरेटर और उसके पास पडे़ कचरे पर नजर दौड़ाई। खुद अपने मोबाइल से फोटो खींची। फिर उन्होंने कमेटी के सदस्यों के साथ पूरी अस्पताल की छानबीन की। अपनी डायरी में कमियां लिखी। अस्पताल के तीनों मंजिलों पर मरीजों के बेड, मशीनरी व अन्य चीजें देखीं। इस दौरान कमिश्नर के अलावा कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी, नगर निगम आयुक्त् आशीष वशिष्ट, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. संजय मिश्रा, सयुंक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश जबलपुर आरके सिंह एवं अधीक्षण यंत्री विद्युत सुरक्षा जबलपुर अरविंद बोहरे भी उपस्थित रहे।