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स्मार्ट सिटी: इंदौर में नदियों को किया पुनर्जीवित, यहां गौर-परियट का घोंट रहे हैं गला

locationजबलपुरPublished: Nov 24, 2021 08:28:01 am

Submitted by:

Lalit kostha

शहर में नदियों और तालाबों में बहा रहे हैं सीवेज से लेकर डेयरियों की गंदगी

smart city in india

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जबलपुर। नदी, ताल-तलैयों के रूप में पहचाने जाने वाले जबलपुर शहर में गौर-परियट नदियों और तालाबों का गला घोटा जा रहा है। जबकि, इंदौर ने मृतप्राय हो चुकी कान्ह और सरस्वती नदियों को पुनर्जीवित कर दिया है। इन नदियों और नगर के नालों में अब कचरा भी नहीं बहाया जाता। जबकि प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा के तट पर बसे जबलपुर में नदियों में डेयरियों की गंदगी बहाई जा रही है। शहर के तालाब सीवर टैंक में तब्दील हो गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार स्वच्छता सर्वेक्षण में हर बार पिछडऩे के बड़े कारणों में नगर के नदी, तालाबों की दुर्दशा भी शामिल है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन नदी-तालाबों का पानी इतना दूषित हो गया है कि उसे छूने से भी त्वचा का संक्रमण हो सकता है।

वहां वाटर प्लस, यहां मिटा रहे जलस्रोत
देश का पहला वाटर प्लस शहर बनने के लिए इंदौर ने काफी मशक्कत की है। नदी-नालों में मिलने वाले गंदे पानी के 7295 निर्गम बिंदु ढूंढ़े। इनमें 430 बड़े थे। नगर निगम ने 100 किलोमीटर लम्बी सीवर लाइन बिछाई। नदी-नालों में मिलने वाली लाइनों को सीवरेज की बड़ी लाइनों से मिलाया। सीवरेज का पानी साफ कर उसे पुन: उपयोग के योग्य बनाया। जबकि, जबलपुर में ओमती-मोती नालों को पक्का करने के नाम पर संकरा कर कवर्ड कर दिया गया। इससे कई स्थानों पर उनकी ठीक से सफाई भी नहीं हो पाती। माढ़ोताल, सूरजताल, गंगा सागर, गोकलपुर तालाब समेत कई बड़े तालाबों की जमीन पर अवैध कब्जा हो रहा है। उनका जल संग्रहण क्षेत्र भी सिमटता जा रहा है।

 

Nagar Nigam Jabalpur
IMAGE CREDIT: patrika

तीन नदी, 52 तालाब और 84 तलैया वाले शहर में नर्मदा नदी के अलावा अन्य नदियों का पानी पीने तो दूर, छूने लायक भी नहीं बचा है। गिनती के तालाब बचे हैं, उनमें भी प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा है कि जलीय जीवों का जीवन भी मुश्किल हो रहा है। यही कारण है कि तालाबों में आए दिन मछलियां दम तोड़ रही हैं।
– विनोद दुबे, भू-जलविद्


जीवन को बचाने व भविष्य को सुरक्षित करने के लिए नदी-तालाबों का संरक्षण और उन्हें पुनर्जीवित करना आवश्यक है। इंदौर ने इस दिशा में अच्छा काम किया है। स्वच्छता सर्वेक्षण में हर बार उसे इसका लाभ भी मिल रहा है। जबकि, जबलपुर में भरपूर सम्भावनाओं के बावजूद वाटर प्लस की दिशा में प्रयास नगण्य हैं।
– इंजी. संजय वर्मा, स्ट्रक्चर इंजीनियर व टाउन प्लानर

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