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जिले में नहीं आया कोई बड़ा उद्योग, यह है हालत

locationजबलपुरPublished: Oct 14, 2018 10:02:30 am

Submitted by:

amaresh singh

डिफेंस क्लस्टर की हवा चलने के साथ ही शांत हो गई

No big industry came in district

No big industry came in district

जबलपुर । जिले में बड़ी इंडस्ट्री का सूखा कायम है। तीन साल पहले मटर प्रोसेसिंग यूनिट को छोड़ दिया जाए, तो कोई बड़ा उद्योग नहीं आ पाया। डिफेंस क्लस्टर की हवा चलने के साथ ही शांत हो गई। उर्वरक कारखाने की स्थापना भी सपने सरीखा है। ऐसा नहीं है कि यहां इंडस्ट्री के लिए माहौल व सुविधाएं नहीं हैं। लेकिन, जनप्रतिनिधियों ने इस मामले में कभी गम्भीरता नहीं दिखाई। इसका नतीजा है कि बड़े औद्यागिक घरानों की रुचि यहां उद्योग लगाने की बनी ही नहीं।
अधारताल, रिछाई, हरगढ़ और उमरिया-डुंगरिया जैसे औद्योगिक क्षेत्र चल तो रहे हैं, लेकिन इनमें बड़ी इंडस्ट्री नहीं आ रही हैं। ताकि, कम से कम 500 लोगों को रोजगार मिले। स्थापित उद्योगों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग हैं। वह भी बेहतर स्थिति में नहीं है। क्योंकि, अर्थव्यवस्था में मची हलचल का असर यहां भी है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान पर पहुंंच गई हैं। इस कारण इंडस्ट्री भी प्रभावित हैं। इसलिए बड़े उद्योग आने तक स्थिति नहीं सुधरेगी।
डिफेंस पर नॉन कोर का संकट- वृहद उद्योगों के नाम पर जबलपुर जिले में रक्षा उत्पादन इकाइयां हैं। इनकी स्थापना में किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति की इच्छाशक्ति नहीं, बल्कि क्षेत्र की जलवायु रही है। इनमें हजारों लोगों को रोजगार मिला। करीब 15 हजार कर्मचारी इनमें कार्यरत हैं। लेकिन, इस उद्योग पर भी संकट खड़ा हो गया है। रक्षा मंत्रालय ने देश की एक दर्जन से ज्यादा इकाइयों को नॉनकोर ग्रुप में शामिल किया है। इसमें शहर की वीकल फैक्ट्री शामिल है। इसी तरह गन कैरिज फैक्ट्री और ग्रे आयरन फाउंड्री के कुछ उत्पादों को इसमें शामिल किया है। ऐसे में रिछाई व अधारताल में इनपर निर्भर 50 से ज्यादा छोटी इकाइयों की स्थिति खराब हो गई है।


यह है स्थिति


जिले में हैं चार औद्योगिक क्षेत्र।
चारों जगह हैं करीब 450 इंडस्ट्री।
ढाई हजार से ज्यादा को रोजगार।
रिछाई में 257 और अधारताल में 151 इंडस्ट्री।
उमरिया-डुंगरिया में चल रहीं 30 इंडस्ट्री।
हरगढ़ सिहोरा में करीब छह यूनिट में उत्पादन।
मनेरी औद्योगिक क्षेत्र में 78 इकाइयां।


ये हैं कमियां
यातायात की बेहतर कनेक्टिविटी नहीं।
व्यवस्थित औद्योगिक क्षेत्र का अभाव।
उद्योगपतियों की ओर से प्राथमिकता नहीं देना।
बड़े औद्योगिक घरानों का प्रवेश नहीं।
जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक उदासीनता।


यहां हैं सम्भावनाएं


कृषि
खनिज
रक्षा
रेडीमेड गारमेंट
फेब्रिकेशन
मटर प्रोसेसिंग

इंडस्ट्री के लिए पहले की तुलना में सुविधाएं बढ़ी हैं। अधारताल और रिछाई इंडस्ट्रियल एरिया में जगह नहीं थी। इसलिए यहां नई इंडस्ट्री नहीं लगी। इसलिए उमरिया-डुंगरिया जैसे नए औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित किया गया है।
देवब्रत मिश्रा
महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र
जिले में बड़ी इंडस्ट्री आनी चाहिए। इसके लिए समन्वित प्रयास किए जाएं। बड़े उद्योगों के आने से औद्योगिक माहौल बनता है। इंदौर और भोपाल इसीलिए आगे हैं। शहर में अभी उद्योगों के नाम पर सिर्फ लघु और मध्यम उद्योग हैं।
हिमांशु खरे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष
जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

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