कुपोषण जांचने का पैमाना बच्चे का वजन होता है। जन्म के समय बच्चे का वजन कम से कम २.५ किलोग्राम होना चाहिए, इससे कम वजन का बच्चा जन्म से कुपोषण की बीमारी से ग्रसित माना जाता है। छह माह के बच्चे का वजन कम से कम ५.५ किलोग्राम होना चाहिए। चिन्हित कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य लाभ के लिए दवाओं के साथ दोगुना आहार देकर उसके वजन पर निगरानी संबंधित वार्ड की कार्यकर्ता द्वारा रखी जा रही है। सिहोरा सिविल अस्पताल में बने पोषण पुनर्ववास केंद्र में अतिकुपोषित बच्चों को उनकी माताओं के साथ भर्ती किया जाता है। १५ दिन तक बच्चों को पोषण आहार देकर उनके वजन की नियमित जांच होती है।
कुपोषण को लगातार कम करने लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। खासकर मजदूर और गरीब वर्ग में कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा है। जागरुकता की कमी के चलते ऐसे लोग सामने नहीं आते।
मनीष शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास जबलपुर