आजादी, स्वतंत्रता से जुड़ी कोई दीर्घा नहीं रानी दुर्गावती संग्रहालय में विभिन्न दीघार्ओं का निर्माण किया गया है। इन दीर्घाओं में इण्डेक्स वीथिका, शैव दीर्घा, वैष्णव दीर्घा, जैन दीर्घा, अप्सरा दिक्पाल दीर्घा, अभिलेख दीर्घा, चौसठ योगिनी दीर्घा, मुद्रा दीर्घा, आदिवासी कला दीर्घा, मुक्ताकाश दीर्घा शामिल है। इसके अलावा संग्रहालय की विशिष्ट कलाकृतियां शामिल हैं। लेकिन आजादी या स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कोई भी दीर्घा नहीं है।
सबसे उत्कृष्ट कोटी का स्वाधीनता संग्राम जबलपुर का स्वाधीनता संग्राम देश में सबसे उत्कृष्ठ कोटी का माना जाता है। जबलपुर से जुड़ी हुई कई यादें है जिसने पूरे देश में अपना अहम स्थान रखा है। चाहे वह झंडा सत्याग्रह हो या फिर कल्चुरी अधिवेश, नमक सत्याग्रह आदि। पूरे देश में झंडा सत्याग्रह का उदय जबलपुर से हुआ है। आजादी की लड़ाई में जबलपुर का महत्वूपर्ण योगदान रहा। उनकी स्मृतियां आज भी शहर में देखी जा सकती है लेकिन इन दस्तावेजों का संग्रह म्यूजियम में न होनी कहीं न कहीं सैलानियों में कमी खिलती है।
शहर की आजादी से जुड़ी यादें -1930 के दौरान गांधी भवन में झंडा फहराने अंग्रेजी हुकूमत ने रोका। झंडा सत्याग्रह का हुआ आजाद जो पूरे देश में फैल गया। -09 अगस्त 1942 को भारत छोडो आंदोलन की आजादी की लड़ाई में जबलपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान रहा। -1939 में त्रिपुरी अधिवेश के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पं जवाहर लाल नेहरू का जबलपुर आगमन। गजरथों के साथ विशाल रैली निकली।
-1100 ईसवीं में जबलपुर की चौकसी के लिए बना मदनमहल का किला तो वहीं मराठों के काल में निर्मित कमानिया गेट का -जबलपुर का आजादी, स्वतंत्रता संग्राम में महात्वपूर्ण स्थान रहा है। आज की युवा पीढ़ी को जानकारी नहीं है। जबलपुर के इतिहास को संग्रहित कर जनता के बीच आना चाहिए। संग्रहालय इसके लिए बेहतरीन प्लेटफार्म बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह प्रयास करे।
-राजकुमार गुप्ता, वरिष्ठ साहित्यकार. -परिवार और बच्चों को संग्रहालय घुमाने लाए थे। ताकि बच्चे इतिहास से परिचित हो सके। लेकिन यहां स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कोई दीर्घा अथवा पांडुलिपी, अभिलेख देखने को नहीं मिले।
-डॉ.पीके हरदहा, सैलानी