सिवनी जिले की ग्राम पंचायत धूमा के निवासी कैलाश शिवहरे व गोविन्द साहू की ओर से याचिका प्रस्तुत की गई। कहा गया कि सिवनी जिले की लखनादौन तहसील में पांचवी अनुसूची के तहत आने वाले आदिवासी क्षेत्र में यह प्रावधान किया गया है कि पांचवी अनुसूची की ग्राम पंचायतों में पंचों के पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कोई आरक्षण नहीं दिया जाएगा।अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी , असीम त्रिवेदी , अपूर्व त्रिवेदी , आशीष तिवारी , अरविन्द सिंह चौहान ने तर्क दिया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में राज्य शासन को त्रिगुण परीक्षण (ट्रिपल टेस्ट) के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के लिए कहा है। त्रिगुण परीक्षण में एक मानक यह था कि आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। किन्तु राज्य शासन के पंचायत राज विभाग ने एक परिपत्र जारी कर यह प्रावधान किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिप्रेक्ष्य में अधिसूचित क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई भी आरक्षण नहीं किया जाएगा। जबकि सर्वोच्च न्यायालय का 50 फीसदी का मानक केवल सामान्य क्षेत्रों में लागू होता है। दूसरी ओर अधिसूचित क्षेत्रों की पंचायतों में सरपंच व अध्यक्ष के पदों में 100 फीसदी आरक्षण किया है। यदि सर्वोच्च न्यायालय के 50 फीसदी से अधिक आरक्षण की मनाही का मानक लागू करना था , तो अध्यक्ष के पदों में भी करना था। इसके कारण ग्राम पंचायत धूमा में अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के साथ अन्याय हो रहा है।