जबलपुरPublished: May 17, 2022 09:35:23 pm
Rahul Mishra
मेडिकल पीजी परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद भी निर्धारित समय में डॉक्टर को ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने के लिए नियुक्ति नहीं दी गई। इस पर मप्र हाईकोर्ट ने माना कि डॉक्टर की गलती नहीं थी। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस डीडी बंसल की बेंच ने एमजी मेडिकल कॉलेज इंदौर को निर्देश दिए कि 45 दिन के अंदर याचिकाकर्ता डॉक्टर को उसके मूल दस्तावेज वापस लौटाए जाएं।
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हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, एमजी मेडिकल कॉलेज इंदौर का मामला
जबलपुर।
मेडिकल पीजी परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद भी निर्धारित समय में डॉक्टर को ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने के लिए नियुक्ति नहीं दी गई। इस पर मप्र हाईकोर्ट ने माना कि डॉक्टर की गलती नहीं थी। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस डीडी बंसल की बेंच ने एमजी मेडिकल कॉलेज इंदौर को निर्देश दिए कि 45 दिन के अंदर याचिकाकर्ता डॉक्टर को उसके मूल दस्तावेज वापस लौटाए जाएं। इस मत के साथ कोर्ट ने एक याचिका का निराकरण किया।
डॉ अर्चना गोविंदराव भांगे की ओर से याचिका दायर की गई। अधिवक्ता ब्रह्मानन्द पांडे ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने 2015 में एमजी मेडिकल कॉलेज इंदौर में मेडिकल पीजी कोर्स के लिए प्रवेश लिया। नियमानुसार उनसे प्रवेश के समय बांड भराया गया कि उन्हें पीजी कोर्स पास करने के बाद एक साल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देनी होंगी। याचिकाकर्ता का रिजल्ट 17 सितंबर 2018 को आया। इसमें उसे पूरक मिली, लेकिन सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में सेवा के लिए उसका नियुक्ति पत्र जारी कर दिया याचिकाकर्ता ने 31 दिसम्बर 2018 को पूरक की परीक्षा पास की। लेकिन कई अभ्यावेदन देने के बावजूद अबकी बार उसका नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। इसी दौरान पुणे में उन्हें रेजिडेंट डॉक्टर की नौकरी मिल गई। इसके लिए उन्हें मूल दस्तावेजों की आवश्यकता है, जो एमजी मेडिकल कॉलेज में जमा हैं। तर्क दिया गया कि पीजी परीक्षा पास होने के तीन माह के अंदर ग्रामीण क्षेत्र में नौकरी न दिए जाने पर बांड स्वयमेव समाप्त हो गया। कोर्ट के नोटिस पर सरकार की ओर से बताया गया कि एमजी मेडिकल कॉलेज के डीन ने याचिकाकर्ता के सफलतापूर्वक पीजी उत्तीर्ण करने की सूचना नहीं दी, इसलिए नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए याचिकाकर्ता को उसके मूल दस्तावेज वापस लौटाने के निर्देश दिए।