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अब सिलेंडर बदलने का झंझट खत्म, ऑक्सीजन की सीधे होगी आपूर्ति

locationजबलपुरPublished: Oct 12, 2020 09:13:08 pm

Submitted by:

shyam bihari

जबलपुर के एनएससीबीएमसी में 10 हजार लीटर क्षमता वाला टैंक के लिए ऑक्सीजन की पहली खेप पहुंची
 

oxygen cylinder

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जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर में मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए बार-बार सिलेंडर बदलने की झंझट खत्म होने वाली है। कोरोना काल में गम्भीर मरीजों के उपचार में ऑक्सीजन की जरुरत बढऩे के बाद 10 हजार लीटर वाला गैस स्टोरेज टैंक तैयार कर लिया गया है। यह टैंक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के पास बनाया गया है। इससे सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मरीजों के सारे बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी। टैंक तैयार होने के बाद ऑक्सीजन की पहली खेप लेकर कैप्सूल ट्रक पहुंच चुका है। इसके टैंक में भरने के बाद अब मरीजों को ऑक्सीजन की सीधी आपूर्ति की तैयारी है। नई व्यवस्था का सोमवार से बतौर प्रयोग शुरु हो जाएगी।
– 01 हजार सिलेंडर तक प्रतिदिन ऑक्सीजन लग रही थी पिछले महीने तक
– 05 सौ ऑक्सीजन सिलेंडर का प्रतिदिन वर्तमान में उपयोग हो रहा है
– 01 ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक मेडिकल कॉलेज परिसर में बनाए जा रहे है
– 01 स्टोरेज टैंक बनकर तैयार हो गया है। दूसरा टैंक भी निर्माणाधीन है
– 10-10 हजार लीटर ऑक्सीजन स्टोरज क्षमता है इन कैप्सूल टैंक की
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के लिए पृथक ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक बनाने के बाद प्रबंधन ने पुरानी बिल्ंिडग के लिए भी इतनी ही क्षमता वाले एक और टैंक बनाने पर काम शुरु कर दिया है। यह कैप्सूल टैंक निर्माण प्रक्रिया में है। इस टैंक के तैयार होने के बाद मेडिकल अस्पताल भवन के सारे ऑक्सीजन बेड भी इस टैंक से जुड़ जाएंगे। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और मेडिकल अस्पताल के लिए अलग-अलग टैंक बन जाने से ऑक्सीजन की ज्यादा मात्रा में स्टोरज के साथ ही आपूर्ति सुविधा भी बेहतर हो जाएगी।

मेडिकल कॉलेज में सामान्य रुप से प्रतिदिन चार सौ पांच सौ तक ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग होता है। कोरोना के गम्भीर मरीजों की पिछले महीने संख्या बढऩे पर ऑक्सीजन की खपत प्रतिदिन एक हजार सिलेंडर से ज्यादा हो गई थी। जम्बो सिलेंडर उपयोग करने के बावजूद इन्हें बार-बार बदलने और खाली सिलेंडर की रिफलिंग में समस्या से जूझना पड़ रहा था। इसमें मेन पावर भी ज्यादा लगता था। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल मुख्य रुप से हृदय, किडनी, न्यूरो के गम्भीर मरीजों के उपचार और ऑपरेशन के लिए है। ऑक्सीजन टैंक बन जाने से आगे भी भर्ती मरीजों को आपूर्ति सुचारु रहेगी।

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