-2254 स्कूल
-1603 प्राइमरी स्कूल
-651 मिडिल स्कूल
-37,890 छात्र देंगे परीक्षा
-16,655 पांचवी कक्षा
-21,235 आठवीं कक्षा
जबलपुर।
इस बार स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पांचवी एवं आठवीं परीक्षा को बोर्ड पैटर्न पर लागू किया गया है। साथ ही आगाह भी कर दिया गया है कि छात्रों को पास होने के बाद ही अगली कक्षा में प्रवेश मिलेगा। छात्रों के फेल होने के डर से विभाग के अफसरों के हाथ पैर फूल रहे हैं, क्योंकि परीक्षाएं सर पर हैं और कोर्स पूरा नहीं हुआ। रिजल्ट बिगडऩे के डर से अफसरों ने शॉर्टकट का रास्ता निकालते हुए अब छात्रों को प्रश्न बैंक से पढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके लिए विभाग ने सभी विषयों के प्रश्नपत्र तैयार करवाए हैं। इसके आधार पर ही स्कूलों में बोर्ड परीक्षा की तैयारी करवाने के लिए कहा जा रहा है। जिले में ही करीब करीब 38 हजार छात्र परीक्षा में शामिल होंगे।
अभिभावक न शिक्षक गंभीर
पांचवी आठवीं परीक्षा के बोर्ड होने को लेकर न तो अभिभावक गंभीर हुए हैं न ही शिक्षक। जिसे लेकर विभाग भी दहशत में है। इसके पूर्व विभाग द्वारा अभिभावकों को बुलाकर यहां तक कि घर-घर जाकर बोर्ड परीक्षा होने की जानकारी दी गई थी और बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने के लिए कहा गया था लेकिन इसके बाद भी खास सुधार नहीं हो सका।
अधिक से अधिक छात्र हो पास
इस पूरी कवायद की वजह परीक्षा में अधिक से अधिक छात्रों को पास कराना है। केंद्र सरकार द्वारा बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 में संशोधन के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने 5वीं व 8वीं के बच्चों का वार्षिक मूल्यांकन बोर्ड परीक्षा के रूप में कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए ही शिक्षकों से प्रश्नबैंक तैयार करवाकर स्कूलों में भेजा जा रहा है। इसके आधार पर ही डीपीसी को बोर्ड परीक्षा के पैटर्न पर बच्चों को तैयारी कराने के निर्देश दिए गए हैं।
फरवरी के दूसरे सप्ताह में परीक्षा
पांचवीं व आठवीं की वार्षिक परीक्षा फरवरी के दूसरे सप्ताह में आयोजित की जाएगी। राज्य शिक्षा केंद्र ने स्कूलों को सैंपल पेपर भेजे गए हैं। इसके आधार पर स्कूल बच्चों से अभ्यास करवाए जाएंगे। दूसरी तरफ बोर्ड पैटर्न की तैयारी करवाने के लिए भी अंग्रेजी के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जबकि स्कूलों में 40 फीसदी भी कोर्स पूरा नहीं हुआ है।
वर्जन
-पहली मर्तबा प्रश्न बैंक तैयार कर इसे ऑनलाइन जिलों को को भेजा गया है। जिसके माध्यम से स्कूलों में पढ़ाई शुरू कराई जा रही है। स्कूलों को स्वयं आवश्यकतानुसार छपवाने के लिए निर्देशित किया गया है।
-डीके श्रीवास्तव, सहायक परियोजना समन्वयक