जांघ में एक छोटा सा चीरा लगाया, होश में आ गया लकवा पीडि़त
जबलपुरPublished: Dec 25, 2019 10:04:41 pm
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की तत्परता से लकवा पीडि़त को मिली नई जिंदगी, आधी रात को सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की टीम ने की सर्जरी
जबलपुर नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में गंभीर हालत में भर्ती किए गए लकवा पीडि़त की आधी रात को विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने न केवल आधी रात को सर्जरी की, बल्कि मरीज को नई जिंदगी दी। गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किए गए लकवा पीडि़त का विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने आधुनिक तकनीक से उपचार किया। इसके लिए मरीज की जांच में एक छोटा सा चीरा लगाया। नस में जमे खून को थक्के को कैथेटर से निकाल दिया। सर्जरी के फौरन बाद मरीज को होश हो गया। वह बोलने लगा।
रात को २ बजे आए डॉक्टर, ऑपरेशन किया-
शहर के ४५ वर्षीय अशोक पुरी गोस्वामी को को दाहिनी साइड का लकवा और बोलने में तकलीफ थी। मंगलवार को रात में करीब एक बजे बेहोशी की हालत में उन्हें सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। डॉक्टर ने सीटी स्कैन से बीमारी की पहचान कर ली। (बाइ इंटरनल कैरोटिड आर्टरी में क्लॉटिंग थी। तुरंत सर्जरी के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों को बुलाया गया। रात को करीब दो बजे सर्जरी हुई। कुछ ही देर में होश आया और मरीज बोलने लगा।
ये डॉक्टर्स थे टीम में-
डॉक्टर्स की टीम में न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट डॉ. निष्ठा यादव, न्यूरो सर्जन डॉ. अंबुज कुमार, डॉ. केतन, मेडिसिन और एनस्थीसिया डिपोर्टमेंट के डॉ. आशीष गुप्ता, डॉ. रजत देव, डॉ. कमलराज, डॉ. अनिवेश जैन, डॉ. प्रशांत पाइकरा शामिल थे।
लकवा पीडि़तों के इलाज में देर न करें
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में न्यूरो सर्जन डॉ. केतन के अनुसार मरीज को लकवा था। वह सही समय पर अस्पताल पहुंचा तो उचित उपचार प्राप्त हुआ। बेहोशी, ज्यादा सुस्ती, शरीर के एक हिस्से में शून्य जैसा महसूस होना लकवा के लक्षण हो सकते है। लकवा के बाद मरीज को जितना जल्दी हॉस्पिटल लाया जाएं उसकी रिकवरी के चांस बढ़ जाते है। चौबीस घंटे से पहले सर्जरी होने पर मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य हो सकता है।
– प्रदेश की पहली सफल सर्जरी-
एनएससीबी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. प्रदीप कूुमार कसार के अनुसार लकवा पीडि़त के उपचार में आधुनिक तकनीक (छोटे सा छिद्र करके ब्लड क्लॉटिंग हटाने) का प्रदेश के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में पहला सफल ऑपरेशन है।