मेडिकल कॉलेज के कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार अस्पताल में जांच में सभी प्रकार के कैंसर के मरीज मिल रहे हैं। ओरल, लंग, ब्रेस्ट, सवाईकल, किडनी में कैंसर के साथ ही बच्चों में ब्लड कैंसर मिल रहा है। कुछ समय से गॉल ब्लैडर कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है। शुरुआत में पेट में दर्द होने पर ज्यादातर लोग गैस या खान-पान में गड़बड़ी को वजह मानते रहते हैं। कई बार दवा लेने पर दर्द से राहत मिल जाती है, लेकिन अंदर ही अंदर इसका संक्रमण पनपने पर जब गम्भीर स्थिति में बीमारी का पता चलता है।
गॉल ब्लैडर कैंसर के मरीज बढऩे को लेकर अभी सही कारण पता नहीं है। डॉक्टरों का अनुमान है कि मोटापा और पर्यावरण की समस्याएं इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हंै। इसके अलावा स्मोकिंग, शराब का सेवन, तम्बाकू-गुटखा, खाने की आदतों (लम्बे समय तक भूखा रहना) को भी कारण माना जा रहा है। व्यसन पीडि़तों में गॉल ब्लैडर कैंसर का खतरा ज्यादा माना जा रहा है। मिलावटी एवं पेस्टीसाइट युक्त सामग्री और प्रदूषित जल के कारण भी हो सकता है।
अस्पताल की स्थिति
-150-180 मरीज प्रतिदिन ओपीडी में जांच के लिए आ रहे
-10-12 मरीज प्रतिदन इसमें जांच में कैंसर पीडि़त मिल रहे
-3-5 मरीज, जांच में गॉल ब्लैडर कैंसर के पीडि़त मिल रहे
-1-2 मरीज, इसमें चौथे स्टेज में जांच कराने आ रहे हैं
पीडि़तों की संख्या
नए मरीज…
-2851 वर्ष 2018 में
-2602 वर्ष 2019 में
पुराने मरीज…
-31208 वर्ष 2018 में
-32688 वर्ष 2019 में
एनएससीबी मेडिकल कॉलेज कैंसर विशेषज्ञ डॉ. श्यामजी रावत का कहना है कि कुछ समय से गॉल ब्लैडर कैंसर मरीज ज्यादा मिल रहे हैं। अस्पताल में आ रहे मरीजों में औसतन प्रतिदिन एक-दो मरीज गॉल ब्लैडर कैंसर से पीडि़त चौथी स्टेज में आ रहे हैं। इस स्टेज में उपचार सम्भव नहीं हो पाता। यह बीमारी शुरुआत में समझ नहीं आती है। इसलिए पेट सम्बंधी विकार होने पर चिकित्सक से परामर्श जरूर करना चाहिए।