ईसीसी समन्वयक बोली
ईसीसी समन्वयक स्वर्णा बाल्मीक ने कहा कि आंगनबाड़ी बच्चों की पहली शाला होती है। बच्चों का मन कोमल मिटटी के सामान होता है, जिसे किसी भी सांचे में ढाला जा सकता है। 3 से 6 आयु वर्ष के बच्चों के बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। इस आयु वर्ग के बच्चों में शारीरिक, मानसिक गुणों के साथ भावनात्मक विकास बहुत जरूरी है, तभी वह स्कूल जाने के लिए तैयार हो सकेगा।
ये नर्सरी कक्षा है
ईसीसी समन्वयक ने कहा कि आंगनबाड़ी बच्चों की नर्सरी कक्षा होती है। शाला पूर्व शिक्षा को लेकर शासन की मंशा है कि आंगनबाड़ी आने वाला बच्चे पूरी तरह से शाला जाने के लिए तैयार हों। ऐसे में कार्यकता इसके लिए प्रशिक्षण के माध्यम से बच्चों को तैयार करें। ताकि अधिक से अधिक बच्चों की निश्चित आयु में पढ़ाई शुरू हो सके।
दो बैचों में प्रशिक्षण
महिला बाल विकास परियोजना सिहोरा ब्लाक के अन्तर्गत 108 आंगनबाड़ी केन्द्रो में पदस्थ कार्यकताओं के लिए ईसीसी का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया है। शिविर में कार्यकर्ताओं को दो बैचों में पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण में परियोजना अधिकारी इंद्रकुमार साहू, पर्यवेक्षक रजनी राठौर, लक्ष्मी पंजाबी के साथ बीपीए ऋषिराज मिश्रा शामिल थे।