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ओबीसी आरक्षण पर कोर्ट में सुनवाई, दिवाली बाद हाईकोर्ट करेगा फैसला

locationजबलपुरPublished: Oct 26, 2021 11:55:48 am

Submitted by:

Manish Gite

हाईकोर्ट ने स्थगन हटाने से इनकार किया, 6 दिसम्बर तक सुनवाई स्थगित…।

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27 percent reservation obc in mp

जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती परीक्षा, पीजी नीट परीक्षाओं व मेडिकल ऑफिसर्स की भर्ती में ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से अधिक किए जाने पर लगाई रोक बरकरार रखी। चीफ जस्टिस आरवी मलिमथ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने सोमवार को भी राज्य सरकार के उस आग्रह को ठुकरा दिया, जिसमे यह स्थगन हटाने की मांग की गई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 6 दिसम्बर तक स्थगित कर दी।

 

सुको के फैसले की अवहेलना

जबलपुर की छात्रा अशिता दुबे व अन्य की ओर से याचिकाएं पेश कर अधिवक्ता आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि राज्य में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया जा रहा है। यह सुको के न्यायदृष्टांत की रोशनी में अवैध है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 19 मार्च 2019 को प्री पीजी नीट (मेडिकल) की परीक्षाओं में यह ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर रोक लगा दी थी। इस याचिका के साथ संलग्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बाद में शिक्षक भर्ती व मेडिकल ऑफिसर की भर्तियों में भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने पर रोक लगा दी थी।

 

ओबीसी आरक्षण पर फिर बढ़ी तारीख

 

सरकार ने लागू किया बिल

इस बीच राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने का विधेयक पारित कर 2 सितम्बर 2021 को इसे लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। सामाजिक संस्था यूथ फॉर इक्वलिटी की ओर से इस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई। वहीं ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से राज्य सरकार के ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के कदम का समर्थन किया गया। गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता, अतिरिक्त महाधिवक्ता एए बर्नार्ड व ओबीसी एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पक्ष रखा।

 

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ऐसे चली जिरह

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के साथ अतिरिक्त महाधिवक्ता एए बर्नार्ड : माय लार्ड, राज्य की 7 करोड़ जनसंख्या में से 3 करोड़ 70 लाख निवासी ओबीसी हैं। ओबीसी वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व देने के मकसद से यहां ओबीसी आरक्षण बढ़ाया जा रहा है। सरकार का फैसला सही है जिसके तहत ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया है।

 

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याचिकाकर्ताओं के वकील आदित्य संघी

नहीं माय लार्ड, किसी भी तरह से कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता। 14 फीसदी से अधिक ओबीसी आरक्षण करने पर कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, जो अवैध है। इंदिरा साहनी व अन्य कई केस में सुको ने यह स्पष्ट किया है।

 

तुषार मेहता, इंदिरा जयसिंह, एए बर्नार्ड

ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के लिए मप्र में पर्याप्त आधार है। यह अवैध नहीं है। फिलहाल जब तक इस केस की सुनवाई चल रही है, सरकार को भर्तियों में बढ़ा हुआ आरक्षण लागू करने दिया जाए।

 

चीफ जस्टिस आरवी मलिमथ:

ये सभी पहलू विचाराधीन हैं और कोर्ट इन पर अंतिम रूप से बहस ही सुनेगी। इसके पहले कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। अब 6 दिसम्बर को इन मसलों पर बहस की जाए।

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