रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के देवेन्द्र छात्रावास से लगे विश्वविद्यालय के आवासों के आवंटन में मनमानी बरती गई है। विवि के कई एेसे कर्मचारियों को ये आवास दे दिए गए हैं, जिसकी कोई प्रक्रिया नहीं की गई है और न ही उनका नाम भी विवि के रिकार्ड में हैं। इससे यह हो रहा है कि इन कर्मचारियों की पगार से न तो किराया कट रहा है और न ही रखरखाव का शुल्क। इस मामले में तत्कालीन रजिस्टार का कहना था कि एेसे लोगों की छानबीन की जा रही है ताकि उनसे वर्षों की किराया वसूली के साथ उन्हें कैडर के हिसाब से आवास दिया जा सके।
साइंस कॉलेज का माहौल गड़बड़ाया
साइंस कॉलेज प्रांगण से लगे विक्रम छात्रावास के पीछे कर्मचारियों का आवास है। यहां आवासों की हालत यह हो गई है कि लोगों ने मनमानी करके क्वार्टर का एक्सटेंशन कर लिया है। जितना बड़ा आवास नहीं है कहीं उससे बड़ा आंगन बनाकर जमीन पर कब्जा कर रखा है। क्वार्टरों में चार पहिया वाहन पार्क करने की जगह बना ली है। क्वार्टर के साइड में भी कब्जे करने में कोई कमी नहीं छोड़ी गई है, यहां क्वार्टर में रहने वाले लोगों ने मवेशी पाल रखे हैं। मवेशियों की वजह से क्षेत्र में गंदगी से दुर्गंध फैल रही है। जानकारों का कहना है कि यहां लोग सालों से रह रहे हैं।
साइंस कॉलेज प्रांगण से लगे विक्रम छात्रावास के पीछे कर्मचारियों का आवास है। यहां आवासों की हालत यह हो गई है कि लोगों ने मनमानी करके क्वार्टर का एक्सटेंशन कर लिया है। जितना बड़ा आवास नहीं है कहीं उससे बड़ा आंगन बनाकर जमीन पर कब्जा कर रखा है। क्वार्टरों में चार पहिया वाहन पार्क करने की जगह बना ली है। क्वार्टर के साइड में भी कब्जे करने में कोई कमी नहीं छोड़ी गई है, यहां क्वार्टर में रहने वाले लोगों ने मवेशी पाल रखे हैं। मवेशियों की वजह से क्षेत्र में गंदगी से दुर्गंध फैल रही है। जानकारों का कहना है कि यहां लोग सालों से रह रहे हैं।
350 किराया में बंगला!
साइंस कॉलेज के आवास में रहने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि वह दो सौ रुपए किराया और 150 रुपए मैंटनेंस दे रहा है लेकिन कॉलेज प्रबंधन क्वार्टर का रखरखाव नहीं करता है। हम ही हर वर्ष इसका रखरखाव करते हैं। अभी तक हम हजारों रुपए आवास के रखरखाव पर लगा चुके हैं। हकीकत यह है कि यह क्वार्टर पुराना हो चुका है। इस क्वार्टर में एक्सटेंशन करके सामने छज्जानुमा दहलान बना ली है। साइड की करीब तीन हजार वर्ग फुट जगह पर कब्जा करके खेती की जा रही है और साथ ही यहां मवेशी पाल रखे हैं।
साइंस कॉलेज के आवास में रहने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि वह दो सौ रुपए किराया और 150 रुपए मैंटनेंस दे रहा है लेकिन कॉलेज प्रबंधन क्वार्टर का रखरखाव नहीं करता है। हम ही हर वर्ष इसका रखरखाव करते हैं। अभी तक हम हजारों रुपए आवास के रखरखाव पर लगा चुके हैं। हकीकत यह है कि यह क्वार्टर पुराना हो चुका है। इस क्वार्टर में एक्सटेंशन करके सामने छज्जानुमा दहलान बना ली है। साइड की करीब तीन हजार वर्ग फुट जगह पर कब्जा करके खेती की जा रही है और साथ ही यहां मवेशी पाल रखे हैं।