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यहां बैठे हैं अजब-अजब अफसर, काम हो जाने के बाद बाद बनाते हैं नियम

locationजबलपुरPublished: Sep 12, 2019 08:46:40 pm

Submitted by:

shyam bihari

शासकीय शिक्षा महाविद्यालयों में चौंकाने वाली प्रक्रिया
officers are sitting here, after work is done, they make rules

Rdvv University vacant from professors, locksmith

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जबलपुर। कुछ विभागों के अफसर भी कमाल कर जाते हैं। जबलपुर के शिक्षा विभाग ेस जुड़े कुछ अफसर भी इन दिनों में अपनी खास कारस्तानी से खूब चर्चा बटारे रहे हैं। यहां शासकीय शिक्षा महाविद्यालयों में एमएड प्रवेश प्रक्रिया में किए गए बदलाव ने महाविद्यालयों को परेशानी में डाल दिया है। प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की पात्रता में बदलाव कर दिया गया। ऐसे में महाविद्यालय के जिम्मेदार परेशान हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रही है कि प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद कैसे इसमें बदलाव किया जा सकेगा? विभाग का यह निर्णय महाविद्यालयों के लिए परेशानी की वजह बन गया है। बताया जाता है शासकीय शिक्षा महाविद्यालय में एमएड प्रवेश के लिए वरिष्ठ अध्यापकों को ही केवल अधिकृत किया गया था। जिससे प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक, अध्यापक प्रवेश से वंचित हो गए थे।
उलट-पलट दिया
यहां के कुछ जिम्मेदारों का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया में पात्रता संबंधी प्रावधानों को शिथिल कर दिया गया है। एमएड प्रवेश के लिए जारी पात्रता शर्तों में बदलाव करते हुए अब अध्यापक, शिक्षक संवर्ग के सभी लोक सेवक जिसमें सहायक अध्यापक, अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक, प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षक, उच्चतर माध्यमिक शिक्षक, सहायक शिक्षक सहित व्याख्याताओं को अनुमति प्रदान कर दी गई है।
सैकड़ों नहीं भर पाए फॉर्म
जानकारों के अनुसार पूर्व में महाविद्यालयों में शिक्षा विभाग एवं आदिवासी विभाग के अंतर्गत सहायक संचालक, प्राचार्य उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पाचार्य हाईस्कूल, वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता, वरिष्ठत अध्यापक को पात्र किया गया था। 2 वर्षीय पाठयक्रम के पात्रता कम किए जाने से सैकड़ों की संख्या में अध्यापक, शिक्षक एमएड करने से वंचित रह गए थे।
हुई थी प्रवेश प्रक्रिया
प्रदेश में प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान एवं शासकीय शिक्षक महाविद्यालय के साथ राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान को मिलाकर आठ संस्थान हैं। जहां एमएड की पढ़ाई कराई जाती है। इन संस्थानों में 340 सीटें एमएड के लिए आरक्षित की गई थीं। जिले में ही 100 सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया अपनाई गई थी जो जुलाई-अगस्त में शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया भी पूरी करा ली गई। अब प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव कर अन्य संवर्ग को भी शामिल किए जाने से मुसीबत खड़ी हो गई है।
प्रांतीय शिक्षा महाविद्यालय के उपसंचालक आरके स्वर्णकार ने बताया कि प्रवेश प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है। इस बीच नियमों में संशोधन किया गया है। यदि सीटें खाली रहती हैं तो इन्हें मौका दिया जाएगा। इस संबंध में विभाग से परामर्श लिया जाएगा।

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