जबलपुर

ये भी खूब रही…वृद्ध जीवित है या मृत? देना पड़ा जांच का आदेश

मानव अधिकार आयोग की जांच पर फैसला सुरक्षित

जबलपुरApr 13, 2019 / 01:10 am

shyam bihari

No observance of court order in Barhi tehsil area

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने मानव अधिकार आयोग की उस जांच को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है, जिसमें भोपाल के 74 बंगलों क्षेत्र में मानव अधिकार आयोग ने इस आशय की जांच करने का आदेश दिया था कि वृद्ध जीवित है या मृत है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ता, मानव अधिकार आयोग और राज्य शासन का पक्ष सुना।
भोपाल निवासी 82 वर्षीय शशिमणि मिश्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 14 जनवरी को भोपाल के बंसल अस्पताल ने उनके पति कुलामणि मिश्रा को मृत घोषित कर दिया था। रात में जब चैक किया गया तो उनके पति की पल्स चल रही थी। इसके बाद उन्होंने वैद्यरत्न राधेश्याम शुक्ल से इलाज कराना शुरू किया। इसके एक महीने बाद मानव अधिकार आयोग ने आदेश जारी किया कि घर में जाकर पता करो कि वृद्ध जीवित है या फिर मृत।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित मिश्रा ने तर्क दिया कि मानव अधिकार आयोग को किसी के घर में घुसकर जांच करने का अधिकार नहीं है। मानव अधिकार आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी किया है। मानव अधिकार आयोग की ओर से तर्क दिया कि समाज में होने वाली किसी भी घटना पर आयोग को जांच करने का अधिकार है। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने आदेश सुरक्षित कर लिया है।
सागर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार पर दस हजार की कॉस्ट
मप्र हाईकोर्ट ने समय पर जवाब और हलफनामा नहीं देने पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर के रजिस्ट्रार पर दस हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगलपीठ ने कॉस्ट की राशि शुक्रवार को ही विधिक सेवा प्राधिकरण के कोष में जमा करने का आदेश दिया।
जबलपुर निवासी अधिवक्ता मुकुंददास माहेश्वरी की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर द्वारा बीएड और डीएड के प्रवेश में राष्ट्रीय शिक्षा अध्यापक परिषद और उच्च शिक्षा विभाग के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी द्वारा मनमाने तरीके से छात्रों को कॉलेजों का आवंटन किया जा रहा है।
पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर के रजिस्ट्रार को हाजिर होकर जवाब देने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर के रजिस्ट्रार आरएम जोशी हाजिर हुए। उन्होंने यूनिवर्सिटी की ओर से लिखित आश्वासन दिया कि बीएड और डीएड के प्रवेश में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद और उच्च शिक्षा विभाग के नियमों का अक्षरश पालन किया जाएगा। समय पर जवाब और हलफनामा दायर नहीं करने पर युगलपीठ ने रजिस्ट्रार पर दस हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.