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1952 बना बास्केटबॉल ग्राउंड स्मार्ट सिटी ने तोड़ा, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

locationजबलपुरPublished: Feb 23, 2022 11:43:58 am

Submitted by:

Lalit kostha

1952 बना बास्केटबॉल ग्राउंड स्मार्ट सिटी ने तोड़ा, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
 

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जबलपुर। राइट टाउन स्थित 70 साल पुराने बास्केटबॉल ग्राउंड को अन्यत्र शिफ्ट करने का मामला जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट ने नगर निगम और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से पूछा है कि बास्केटबॉल ग्राउंड को शिफ्ट करने के वैकल्पिक स्थान पर क्या और कैसी व्यवस्थाएं रहेंगी? जस्टिस शील नागू और जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ में मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

ग्राउंड शिफ्ट करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा

विक्रम अवार्ड प्राप्त खिलाड़ी श्रद्धा शर्मा, अरुण पचौरी, दीपेश श्रीवास्तव सहित अन्य खिलाडिय़़ों ने याचिका दायर कर बताया कि वर्तमान ग्राउंड पर करीब 25816 वर्गफुट पर बास्केटबॉल के दो कोर्ट थे, जिसे 19 फरवरी को रातोंरात तोड़ दिया गया। वर्तमान में अस्थाई रूप से एमएलबी ग्राउंड में बास्केटबॉल कोर्ट बनवाया गया है, जहां स्कूल प्रबंधन ने केवल दो घंटे प्रैक्टिस की अनुमति दी है। याचिका में बताया गया कि बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 1952 में यहां खेल की शुरुआत की थी। ग्राउंड शिफ्ट होने से खिलाडिय़ों को परेशानी हो रही है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि स्मार्ट सिटी ने पहले इस स्थान पर स्विमिंग पूल बनाने की योजना बनाई थी। इसके बाद यहां कैफेटेरिया खोलने की बात हुई। अब ग्राउंड तोडकऱ मल्टीलेवल स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एचएस रूपराह ने बताया कि बास्केटबॉल स्पोट्र्स सुविधा रविशंकर शुक्ल स्टेडियम से लगी जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि वैकल्पिक जगह पर बनाया जा रहा बास्केटबॉल ग्राउंड वर्तमान से भी बेहतर और अधिक सुविधाजनक होगा।

इधर, वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान का लाभ क्यों नहीं दिया?
हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग से पूछा है कि शासकीय महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक को वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान का लाभ क्यों नहीं दिया गया? जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एवं शासकीय पीजी कॉलेज भेल, भोपाल के प्राचार्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कॉलेज में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संध्या सक्सेना की ओर से अधिवक्ता अभय पांडे ने बताया कि विभाग ने नियत तिथि से वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान, सिलेक्शन ग्रेड वेमनमान और पे-बैंड का लाभ नहीं दिया। विभाग का कहना है कि याचिकाकर्ता की एसीआर ठीक नहीं है। दलील दी गई कि एसीआर के सम्बंध में लिखित जानकारी नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार एसीआर के सम्बंध में जानकारी के अभाव में किसी कर्मचारी को
उसके वैतनिक अधिकार से वंचित नहीं रख सकते।

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