ये कह रहे उपेक्षा हो गई, वे कह रहे बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने हो रहे रहें
जबलपुरPublished: Jul 03, 2020 11:58:07 pm
मंत्रिमंडल विस्तार में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर जबलपुर में विपक्ष ने जताई नाराजगी
जबलपुर। महंगाई के मुद्दे पर जबलपुर में भाजपा को घेर रही कांग्रेस को मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी एक मुद्दा मिल गया। कांग्रेस ने कहा कि जबलपुर की घोर उपेक्षा की गई है। जबकि, भाजपा वालों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार उनकी सरकार का हुआ है। मंत्री किसे बनाना है, यह पार्टी तय करेगी। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस मामले में कांग्रेस की हालत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली कहावत जैसी हो गई है। हालांकि, यह सच है कि मप्र सरकार के नवगठित मंत्रिमंडल में जबलपुर के किसी भी चेहरे को स्थान नहीं मिला। राजनीतिक विश्लेषक इसे जबलपुर की उपेक्षा के साथ ही सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी बता रहे हैं, जो अपनी दावेदारी मजबूती से नहीं रख सके। मंत्रिमंडल के गठन के बाद जबलपुर की उपेक्षा पर दिन भर बहस छिड़ी रही। सूत्रों का कहना है कि इससे पहले जबलपुर की ऐसी उपेक्षा नहीं हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधिया गुट को साधने की कोशिश में जबलपुर की उपेक्षा की गई। इस सरकार के पहले मंत्रिमंडल गठन में भी जबलपुर को प्रतिनिधित्व नहीं मिला था।
अनुभव को भी महत्व नहीं
विश्लेषकों का मानना है कि मंत्रिमंडल के गठन में अनुभव को भी तरजीह नहीं दी गई। पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, तीन बार की विधायक नंदनी मरावी, दो बार के विधायक अशोक रोहाणी, सुशील तिवारी इन्दू व कटनी-विजयराघवगढ विधायक संजय पाठक में से किसी को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। पूर्व मंत्री संजय पाठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते हैं। इस बीच कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। नगर अध्यक्ष दिनेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने जबलपुर की उपेक्षा की। केंट बोर्ड उपाध्यक्ष अभिषेक चौकसे ने कहा कि सत्ता के लालच में भाजपा ने जबलपुर के साथ छल किया। सांसद राकेश सिंह का कहना है कि नवगठित मंत्रिमंडल प्रदेश के विकास को गति देगा और नई इबारत लिखेगा। जबकि, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि जबलपुर की उपेक्षा पुरानी कहानी है। एक बार फिर शहर के हितों के साथ अनदेखी की गई है।