जबलपुरPublished: Jul 30, 2019 01:10:00 am
prashant gadgil
हाईकोर्ट ने कहा, रेडक्रॉस सोसायटी के चेयरमैन आशुतोष पुरोहित को हटाने का आदेश निरस्त
हाईकोर्ट
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि किसी भी पद पर चयनित व्यक्ति को बिना विहित प्रक्रिया अपनाए नहीं हटाया जा सकता। इसके लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को अपनाया जाना जरूरी है। जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने इस मत के साथ इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी की मप्र शाखा के बर्खास्त चेयरमैन आशुतोष रसिक बिहारी पुरोहित को पद से हटाने का आदेश निरस्त कर दिया। कोर्ट ने पुरोहित की याचिका मंजूर कर ली।
यह है मामला
पुरोहित ने याचिका दायर कर कहा कि उनके खिलाफ अनियमितता व कदाचरण की शिकायत पर जांच लम्बित है। जांच कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई। इसके बावजूद इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी की मैनेजिंग कमेटी ने पहले उन्हें पद से निलम्बित किया। फिर आठ मार्च 2019 को उन्हें पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया। अधिवक्ता अमित सिंह ने तर्क दिया कि यह आदेश जारी करने के पूर्व याचिकाकर्ता को कोई नोटिस या सुनवाई का अवसर नहीं दिया। नियमों के तहत हटाने के कम से कम 21 दिन पूर्व इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी। अनावेदक रेडक्रॉस सोसायटी ने एेसा न कर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया। सोसायटी की ओर से अधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने तर्क दिया कि नियमों को अपनाते हुए ही याचिकाकर्ता को हटाया गया। अंतिम सुनवाई व विचारण के बाद कोर्ट ने कहा कि अनावेदक सोसायटी ने याचिकाकर्ता को बिना अधिकार के न केवल निलम्बित रखा, बल्कि उसे बर्खास्त भी कर दिया। यह विधि विरुद्ध व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का साफ उल्लंघन है। कोर्ट ने रेडक्रॉस सोसायटी के 8 मार्च 2019 के उक्त आदेश को निरस्त कर दिया। अनावेदकों को निर्देश दिए गए कि याचिकाकर्ता को पूर्ववत चेयरमैन के पद पर कार्य करने दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अनावेदक फिर भी कार्रवाई करना चाहते हैं, तो उन्हें विधिक प्रक्रिया अपनाने की छूट है।