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दो महीनें में गिनती के बने बम, वाहन और तोप

locationजबलपुरPublished: Jun 11, 2019 12:35:56 pm

Submitted by:

gyani rajak

आयुध निर्माणी बोर्ड ने चेताया, ऑर्डनेसं फैक्ट्रीज मैनेजमेंट से कहा सुधारें उत्पादन की स्थिति
 

Ordnance Factory

government Ordnance factories

जबलपुर. शहर की चारों आयुध निर्माणियां उत्पादन के मामले में पीछे हैं। आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) ने देशभर की निर्माणियों के उत्पादन की समीक्षा की है। इसमें शहर में सबसे अधिक उत्पादन 4.8 प्रतिशत जीआइएफ में हो सका है। सबसे कम 0.5 फीसदी जीसीएफ कर पाई है। अन्य दो निर्माणियों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। बोर्ड ने कहा है कि यदि ऐसी स्थिति रही तो फिर समय पर उत्पादन लक्ष्य कैसे पूरा होगा।

आयुध निर्माणी बोर्ड ने देश की हर आयुध निर्माणी को सालभर के लिए उत्पादन लक्ष्य दे रखा है। लेकिन मई तक की जो अपडेट रिपोर्ट आई हैं उसमें कोई भी निर्माणी अच्छी स्थिति में नहीं है। बोर्ड के चेयरमैन सौरभ कुमार ने पत्र में कहा है कि सभी को अपनी स्थिति सुधारनी होगी। निर्माणियों की यह दशा न केवल अंतर निर्माणी उत्पादन बल्कि सीधे रूप से सेना या अद्र्धसैनिक बलों को बनाकर दिए जाने वाले रक्षा उत्पादों की भी है। इस रिपोर्ट के आने के बाद निर्माणियों में हडक़ंप मचा है। सभी निर्माण्यिों में उत्पादन संबंधी बैठकों का दौर तेज हो गया है।

85 फीसदी उत्पादन

उत्पादन वर्ष को शुरू हुए दो महीने पूरे हुए हैं। इतने कम समय में कच्चा माल जुटाना निर्माणियों के लिए चुनौती होती है। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार शहर की चारों आयुध निर्माणियों के उत्पादन लक्ष्य को जोड़ा जाए तो वह करीब 4 हजार 780 करोड़ से ज्यादा है। दो महीने में रक्षा सामग्री का उत्पादन कर करीब 85 (सीसीओ-2) करोड़ रुपए मूल्य के उत्पाद इशू किए गए हैं। यह केवल इंटर फैक्ट्री डिमांड (आईएफडी) की बात है। इसमें सभी फैक्ट्रियां एक दूसरे से कच्चा माल लेकर उत्पाद करती हैं। इसी तरह एक्सटर्नल फैक्ट्री डिमांड की स्थिति है। इसमें आयुध निर्माणियों के अलावा प्राइवेट फर्म से भी रॉ मटैरियल लेकर उत्पादन किया जाता है।

कहां कितना उत्पादन

निर्माणी – उत्पादन लक्ष्य- जारी उत्पाद- अचीवमेंट
जीआईएफ 148- 7.08 – 4.9

वीएफजे 841 -23.06- 2.7
ओएफके 2945- 51.01- 1.8

जीसीएफ 856- 4.13- 0.5
(इनक्लूडिंग आइएफडी)

उत्पादों को तैयार करने के लिए अलग-अलग प्रकार के रॉ मटैरियल की जरुरत होती है। ऐसे में उत्पादन प्रभावित होता है। लेकिन अब व्यवस्था सुधर रही है। प्रोडक्शन मीटिंग में उत्पादन में तेजी लाने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।

एके अग्रवाल, वरिष्ठ महाप्रबंधक ओएफके

जीसीएफ के ज्यादातर प्रोजेक्ट लांग टर्म वाले हैं। फिर भी प्रयास किया जाता है कि समय पर उत्पादन हो सके। आयुध निर्माणी बोर्ड के पत्र के बाद उत्पादन की प्रक्रिया में किस तरह तेजी लाई जा सके, इसका खाका तैयार किया जा रहा है।

रजनीश जौहरी, वरिष्ठ महाप्रबंधक जीसीएफ

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