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जबलपुर में नहीं, अब नागपुर से संचालित होगा मध्यभारत का जैविक खेती प्रशिक्षण केंद्र

locationजबलपुरPublished: Jul 03, 2022 08:09:02 pm

Submitted by:

reetesh pyasi

शहर से 34 साल पुराना संस्थान बाहर

Organic Farming

Organic Farming

जबलपुर। एक तरफ प्रदेश शासन जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देेने के लिए बड़ी योजना बना रहा है, वहीं, दूसरी तरफ इसका प्रशिक्षण व तकनीकी ज्ञान देने वाले संस्थान को केंद्रीय कृषि विभाग ने जबलपुर से हटा दिया है। एक आदेश जारी कर करीब 34 साल पुराने मध्य भारत के एकमात्र क्षेत्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र को नागपुर के केंद्र में मर्ज कर दिया गया है। कृषि व दूसरे संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
जबलपुर में इस संस्थान की स्थापना लगभग 1988 में हुई थी। तब से यह केंद्र विजय नगर के शताब्दीपुरम क्षेत्र में किराए की बिल्डिंगग में चल रहा था। संस्थान की तरफ से कई बार विस्तार के लिए प्रशासन से दो एकड़ भूमि की मांग की गई, लेकिन, अभी तक नहीं मिली।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र-
क्षेत्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र (आरसीओएनएफ) का कार्यक्षेत्र न केवल जबलपुर बल्कि पूरे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ है। ऐसे में इस केंद्र के महत्व को समझा जा सकता है। यहां 12 अधिकारी और प्रशिक्षण देने वाला स्टाफ तैनात है। यहां आने वाले किसानों को जैविक खेती के सम्बंध में जानकारी देने के साथ-साथ अधिकारी-कर्मचारी फील्ड में भी जाकर काम करते हैं। माना जा रहा है कि खुद की बिल्डिंग नहीं होने के साथ-साथ कम स्टाफ होने से इसे नागपुर आरसीओएनएफ में मर्ज कर दिया गया है।
यह काम करता है केंद्र-
जैविक खेती की गुणवत्ता की जांच के साथ-साथ बायो फर्टिलाइजर क्वालिटी टेस्टिंग, जैविक खेती प्रेक्षण प्रदर्शन, किसानों को जैविक एवं प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण, कृषि विभाग के स्टाफ को प्रशिक्षण देने के साथ ही प्राकृतिक एवं जैविक खेती को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग करता है। उनकी योजनाओं पर निगरानी रखने का काम भी यही संस्थान करता है।
जबलपुर में जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए लम्बे समय से प्रयास किए जाते रहे हैं। इस तरह की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर भी लगाया था। क्षेत्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र के मर्ज के मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री से चर्चा कर उचित रास्ता निकाला जाएगा।
राकेश सिंह, सांसद
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