इस शहर में आए दुनिया भर के ओशो प्रेमी ध्यान की गहराई में डूबे
जबलपुरPublished: Dec 12, 2019 12:39:02 pm
Osho Festival in Jabalpur जबलपुर में तीन दिनी राष्ट्रीय ओशो महोत्सव का शुभारंभ
जबलपुर
आचार्य रजनीश की साधना स्थली संस्कारधानी में मंगलवार को राष्ट्रीय ओशो महोत्सव का शुभारंभ हुआ। देश-दुनिया से आए हुए सैकड़ों सैन्यासियों और कला, साहित्य, संगीत, दर्शन एवं फिल्म की दुनिया में सफलताओं का शिखर छूने वाली हस्तियां विचार और ध्यान की गहराई में डूब गई। ध्यान में साधक ओशो का ही गुणगान कर रहे थे। रामपुर के तरंग प्रेक्षागृह में चक्र ध्यान से आयोजन शुरू हुआ। पूरा परिसर इस तरह ओशोमय हुआ कि ध्यान के बाद भी मैरून रोब में जहां भी पुरूष-महिलाओं के समूह खड़े थे, वहीं पर ओशो- ओशो का गुणगान कर नृत्यश् के साथ आनंद की अनुभूति कर रहे थे।
मप्र शासन के अध्यात्म विभाग के सहयोग से जिला प्रशासन एवं जबलपुर टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ओशो महोत्सव में देश-विदेश से ढ़ाई सौ से ज्यादा सन्यासी आए हुए थे। मंगलवार सुबह ६.३० बजे मां प्रेम पूर्णिमा के मार्गदर्शन में चक्र ध्यान हुआ। इस ध्यान में कुंडलिनी ध्यान के सात चक्रो के अलग-अलग ध्यान के साउंड पर ध्यान किया गया। उसके बाद ओशो अनहद कम्यून भोपाल की मां प्रेम पूर्णिमा, लंदन के सन्यासी कृष्ण वेदांत ने ओशों की देशना पर विचार व्यक्त किए।
जीवन की सार्थकता हो
युवाओं में स्पर्धा एवं महत्वाकांक्षा विषय पर व्याख्यान में आदिवासी लोक कला परिषद के पूर्व सचिव कपिल तिवारी ने कहा, आेशो ने कहा है कि जीवन की सार्थकता हो। जब तुम संसार से जीकर जाने लगो तो अपनी आंखों में सम्मान हो। युवा प्रतिस्पर्धा किसी दूसरे अधिक सार्थक जीवन पर होना चाहिए। लेखिका सीमा कपूर ने कहा, इंजीनियर, डॉक्टर हों या टीचर, वे कर्म के साथ ओशो का ध्यान करें तो उनसे होने वाली गलतियां नहीं होगी। पूर्व विधायक मुकेश नायक ने कहा, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग के साथ आेशो ने मुक्ति का मार्ग दिया है। उनकी कथनी और करनी में काई अंतर नहीं है।
नृत्य ध्यान और शारीरिक उर्जा का आनंद
अमृत साधना ओशो इंटरनेशनल पुणे के तत्वावधान में हसीबा खेलिबा करिबा ध्यानम के तहत जीवन उपयोगी अस्तित्व की ऊर्जा के ध्यान प्रयोग हुए। संगीत की धुन के साथ हर कोई ध्यान में खो गया। नृत्य ध्यान, हास्य ध्यान एवं कुंडलिनी ध्यान में सुखद अनुभव हुए। सकारात्मक उर्जा से लबरेज सन्यासी बाहर आए तो उनके चेहरों पर अजीब सी खुशी झल रही थी। प्रख्यात इंटरनेशनल ड्रमर शिवमणि ने वादन किया तो हर कोई मधुर संगीत में मंत्रमुग्ध हो गया।