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जबलपुर

जहां ओशो ने किया अध्ययन, वहां नहीं बन सकी ओशो पीठ

रादुविवि के फिलासफी में एमए में पढ़ाया जाता है ओशो का चेप्टर, ओशो महोत्सव के चलते फिर शुरू हुई कवायद

जबलपुरDec 24, 2019 / 01:51 am

shivmangal singh

A world of memories will open in this college of Osho

A world of memories will open in this college of Osho

जबलपुर. आध्यात्मिक गुरु ‘ओशो की शिक्षा जबलपुर में हुई। संस्कारधानी जबलपुर उनकी कर्मभूमि रही है। फिर भी यहां ओशो से जुड़ी न तो कोई स्मृतियां हैं न ही ‘ओशो पीठ बनाया जा सका। ओशो जन्मोत्सव में देश-विदेश से पहुंचे शिक्षाविद, सन्यासी, अनुयायी भी इसे देखकर हतप्रभ हैं। जबलपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में ओशो की कोई पीठ स्थापित नहीं है। फिल्म इंडस्ट्री के शो मैन सुभाष घई ने भी इस बात को लेकर हैरानी व्यक्त की थी। ओशो की स्मृतियों को सहेजने के लिए शिक्षण संस्थानों के नाम ओशो पर रखने, पढ़ाने की बात कही। हालांकि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के फिलासफी डिपार्टमेंट में ओशो का चैप्टर पढ़ाया जाता है।
2002 में हुआ प्रयास
रादुविवि में वर्ष 2002 में ओशो पीठ की स्थापना के लिए प्रयास किया गया था। इसका मकसद इस माध्यम से विश्वविद्यालय को नेशनल एवं इंटरनेशनल परिदृश्य तक ले
जाना था।
प्रस्ताव को-आर्डिनेशन कमेटी में रखा गया। कमेटी ने इसे पास कर सरकार को भेजा, लेकिन आगे इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं हो सका।
‘शिक्षा में क्रांति
रादुविवि के दर्शन शास्त्र विभाग में एमए में ओशो को पढ़ाया जाता है। पाठ्यक्रम में ‘शिक्षा में क्रांतिÓ का एक पूरा चैप्टर ओशो पर आधारित है। शिक्षक और समाज के सम्बंध की अवधारणा को आेशो ने बखूबी व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि हमारी शिक्षा अतीत की ओर उत्सुक है। हमारे सिद्धांत, हमारी सभी धारणाएं, हमारे सभी आदर्श अतीत से लिए जाते हैं। हम वे सभी धारणाएं बच्चों के मन में थोपना चाहते हैं।
इंटरनेशनल फाउंडेशन ने भी दी थी सहमति
पूर्व में ओशो पीठ को लेकर सबसे बड़ी जरूरत आर्थिक व्यय की बताई जा रही थी। इसे लेकर ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन ने सहमति दी थी, खर्च उठाने का जिम्मा भी लेने की बात कही थी। बाद में समय बीतने के साथ ही विश्वविद्यालय भी इस पर आवश्यक पहल नहीं कर सका।
आेशो महोत्सव में जबलपुर का नाम एक बार फिर देश-दुनिया में फैला है। दुनियाभर के लोग ओशो के क्रांतिकारी कालजयी विचारों के बारे में पढऩा, जानना, पहचानना, उनपर अध्ययन करना चाहते हैं। जबलपुर की भौगोलिक स्थिति अनुसंधान, कार्यों के लिए सबसे उपयुक्त है। एेसे में जरूरी है कि ओशो पीठ तैयार की जाए।
आचार्य ओशो ने वैश्विक क्षितिज पर मुकाम बनाया है, संस्कारधानी को भी पहचान दी है। उनके क्रांतिकारी विचार हर वर्ग को प्रभावित करते हैं। ओशो की ख्याति को देखते हुए तो अलग से विश्वविद्यालय होना चाहिए। विवि प्रशासन ओशो पीठ स्थापित करने हर सम्भव प्रयास करेगा।
प्रो. कपिलदेव मिश्रा, कुलपति रादुविवि

फिलासफी में ओशो पर पूरा एक चैप्टर पढ़ाया जाता है। ओशो पीठ स्थापित होने से ओशो से जुड़ी स्मृतियों का प्रचुर संग्रह होगा। इससे विवि की ख्याति भी दुनिया में बढ़ेगी। देश विदेश के छात्र उन्हें जानने विवि पहुंचेंगे।
प्रो. भरत तिवारी, विभागाध्यक्ष, दर्शन शास्त्र

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