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पैडमैन: अमेरिका से की पीएचडी, यहां आकर बन गई पैडवुमन

locationजबलपुरPublished: Feb 10, 2018 11:49:28 am

Submitted by:

Lalit kostha

सस्ते सेनेटरी पैड की मशीन लगाई, बॉलीवुड में है पैडमैन, यहां ग्राउंड जीरो पर काम कर रही पैडवुमन, अमेरिका से पढ़कर लौटीं माया महिलाओं को कर रहीं जागरुक

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नरसिंहपुर. अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म पैडमैन बॉलीवुड, खासतौर पर महिलाओं के बीच चर्चा का विषय है। इसी तर्ज पर नरसिंहपुर जिले में एक महिला समाज को जागरूक करने में लगी है। उन्हें अब उन्हें पैडवुमन के नाम से जानने लगे हैं। ये हैं माया विश्वकर्मा। माया न केवल सेनेटरी पैड के उपयोग के लिए महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, बल्कि उन्होंने गरीब महिलाओं को मुफ्त में पैड उपलब्ध कराने के लिए एक यूनिट भी लगा दी है। इतना ही नहीं प्रदेश के २२ जिलों में महिलाओं को पैड के उपयोग और इससे होने वाले संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक करने के लिए ४५ दिन की यात्रा भी शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत जिले के रामपिपरिया गांव से की गई है।

माया ने बताया कि वे इस दिशा में कुछ समय से होमवर्क कर रही थीं पर सितंबर २०१७ में जब पत्रिका में ९ माह में ५९९ बच्चादानी के ऑपरेशन की खबर प्रकाशित हुई तो उन्हें लगा कि अब इस काम को जल्द शुरू करना चाहिए। माया ने बताया कि बच्चादानी में संक्रमण का एक बड़ा कारण यह भी है कि मासिक धर्म के समय महिलाएं हाइजीनिक सेनेटरी पैड की जगह गंदे कपड़ों का उपयोग करती हैंंंंंं। इस काम के लिए गरीब वर्ग की २६ महिलाओं के दो समूह बनाए गए । इन्हें रोजगार देने और मुफ्त में पैड उपलब्ध कराने के लिए पैड बनाने वाली सेमी ऑटोमैटिक मशीन उपलब्ध कराई गई है, इससे अब उत्पादन प्रोडक्शन शुरू हो गया है । अब इस मशीन से बनाए गए पैड वे खुद भी उपयोग करेंगी और इसकी मार्केटिंग कर अपनी आजीविका भी चलाएंगी। ये महिलाओं को बाजार से काफी सस्ते बेचे जाएंगे।

अमेरिका से पीएचडी
माया मूल रूप से नरसिंहपुर जिले के मेहरा साईंखेड़ा की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा यहीं से पूरी की और फिर जबलपुर से बायोकेमिस्ट्री में एमएससी किया। एम्स से रिसर्च के बाद अमेरिका से पीएचडी की और फिर कैलीफोर्निया में जॉब करने लगीं। कुछ समय पहले वे लौटीं और अब अपनी माटी के लिए काम कर रहीं हैं।

पीरियड के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बच्चियां इस दौरान अपनी परीक्षा देने तक नहीं जा पातीं। जिससे उनका भविष्य खराब होता है। मैंने इस पिछड़े और गृह जिले की महिलाओं के हित में काम करने की ठानी। सितंबर में पत्रिका की खबर पढ़कर मैंने इस काम को तेजी से करना शुरू कर दिया।
– माया विश्वकर्मा

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IMAGE CREDIT: lali koshta
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