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beautiful queens in india पद्मावती जैसी खूबसूरत थी ये रानी, मुगल बादशाह को रणभूमि में दी थी चुनौती

locationजबलपुरPublished: Nov 20, 2017 11:20:38 am

Submitted by:

Lalit kostha

मध्यभारत की एक रानी ऐसी भी थी, जिसके जौहर और वीरता के आगे मुगल सम्राट अकबर ने भी हार मान ली थी

padmavati beautiful queens in india

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जबलपुर। रानी पद्मावती के जौहर की चर्चा इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। हर तरफ रानी के जोहर की बात हो रही है तो फिल्म बनाने वालों की कड़ी आलोचना भी हो रही है। लेकिन मध्यभारत की एक रानी ऐसी भी थी, जिसके जौहर और वीरता के आगे मुगल सम्राट अकबर ने भी हार मान ली थी। ये रानी कोई और नहीं गोंंड़ साम्राज्य की वीरांगना रानी दुर्गावती थी। जिसने अपनी बहादुरी से मुगल सेना के दांत खट्टेे कर दिए थे।

गौरतलब है कि मुगल सम्राट अकबर मध्यभारत में अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहता था। अकबर ने रानी के पास इसका प्रस्ताव भेजा, साथ ही ये चेतावनी भी भिजवाई की अगर आधिपत्य स्वीकार नहीं किया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। रानी दुर्गावती ने उसकी एक भी बात नहीं मानी और वीरता से युद्ध करना स्वीकार किया। वह मुगल सेना से भिड़ गईं। युद्ध में घायल होने के बाद जब रानी को लगा कि अस्मिता पर खतरा हो सकता है तो उन्होंने खुद की कटार अपनी छाती पर घोंप ली और सतीत्व व वीर गति को चुन लिया।

दुर्गाष्टमी को जन्मी तो नाम हुआ दुर्गा
जिस दिन रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 हुआ था उस दिन दुर्गाष्टमी थी। इसी कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। उनका जन्म बांदा कालांजर यूपी में हुआ था, वह चंदेल वंश की थीं। 1542 में उनका विवाह दलपत शाह से हुआ। दलपत शाह गोंड गढ़मंडला राजा संग्राम शाह के सबसे बड़े पुत्र थे। विवाह के कुछ साल बाद ही दलपत शाह का निधन हो गया। पुत्र वीरनारायण छोटे थे, ऐसे में रानी दुर्गावती को राजगद्दी संभालनी पड़ी। वह एक गौंड़ राज्य की पहली रानी बनीं।

 

अकबर ने बनाया था दबाव
मुगल बादशाह अकबर ने गौड़ राज्य की महिला शासक को कमजोर समझ कर उन पर दबाव बनाया। अकबर ने 1563 में सरदार आसिफ खां को गोंड राज्य पर आक्रमण करने भेज दिया। रानी की सेना छोटी थी। रानी की युद्ध रचना से अकबर की सेना हैरान रह गई। उन्होंने अपनी सेना की कुछ टुकडिय़ों को जंगल में छिपा दिया। शेष को अपने साथ लेकर निकल पड़ी।

सेना ने कर दी तीरों की बरसात
एक पर्वत की तलहटी पर आसिफ खां और रानी दुर्गावती का सामना हुआ। मुगल सेना बड़ी और आधुनिक थी, रानी के सैनिक मरने लगे, परंतु इतने में जंगल में छिपी सेना ने अचानक धनुष बाण से आक्रमण कर, बाणों की बारिश कर दी। इससे मुगल सेना के कई सैनिक मारे गए। अकबर की सेना का भारी क्षति हुई और वह हार गया। अकबर की सेना ने तीन बार आक्रमण किया और तीनों बार उसे हार का मुंह देखना पड़ा।

 

छल से घेर लिया रानी का राज्य
सन 1564 में आसिफ खां ने छल से सिंगार गढ़ को घेर लिया। परंतु रानी वहां से भागने में सफल हुईं। इसके बाद उसने रानी का पीछा किया। एक बार फिर से युद्ध शुरू हो गया, रानी वीरता से लड़ रही थीं। इतने में रानी के पुत्र वीर नारायण सिंह घायल हो गए। रानी के पास केवल 300 सैनिक ही बचे थे। रानी स्वयं घायल होने पर भी अकबर के सरदार आसिफ खां से युद्ध कर रही थीं।

आंख और हाथ में लगे थे तीर
मुगल सेना से युद्ध करते-करते रानी को एक तीर कंधे में लगा। उस तीर को निकाल कर वह युद्ध करने लगीं। इसके कुछ घंटे बाद एक तीर उनकी आंख में लग गया। सैनिकों ने उनसे युद्ध भूमि छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चलने को कहा। रानी ने मना कर दिया और कहा युद्ध भूमि छोड़कर नहीं जाएंगी। उन्होंने कहा उन्हें युद्ध में विजय या मृत्यु में से एक चाहिए। इसी जोश में उन्होंने मुगल सेना को तीन बार हराकर खदेड़ दिया।

नाले से कूदा था घोड़ा
इतिहासकार राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि रानी ने घायल होने के बाद भी नर्रई नाला से अपने घोड़े को कुदा दिया। नाले की चौड़ाई अधिक थी। बहादुर घोड़े ने अपनी शेरदिल रानी को नाले के पार तो उतार दिया, लेकिन ऊंचाई व चौड़ाई अधिक होने की वजह से घोड़ा घायल हो गया। रानी भी बुरी तरह जख्मी हो गईं थीं।

 

और फिर उठाया यह कदम
जब रानी असहाय हो गई तब उन्होंने एक सैनिक को पास बुलाकर कहा, अब तलवार घुमाना असंभव है। शरीर पर शत्रु के हाथ न लगे। रानी ने कहा यही उनकी अंतिम इच्छा है। इसलिए भाले से मुझे मार दो। सैनिक अपनी रानी को मारने की हिम्मत नहीं कर सका तो उन्होंने स्वयं ही अपनी कटार अपनी छाती में घुसा ली। उनकी शहादत की तिथि 24 जून, 1564 बताई जाती है। जिस स्थान पर रानी की शहादत हुई व नर्रई नाला जबलपुर जिले में आता है, वहां रानी की समाधि आज भी वीरांगना की वीरता बयां करती है।

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