scriptrepublic day special: आजादी के मतवाले ने टाउन हॉल में फहराया था तिरंगा, भूल गई सरकार | painful story of family of the revolutionary who hoisted the tiranga | Patrika News

republic day special: आजादी के मतवाले ने टाउन हॉल में फहराया था तिरंगा, भूल गई सरकार

locationजबलपुरPublished: Jan 26, 2018 03:36:54 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

आजादी के समय किया गया था वादा लेकिन आज तक नहीं मिला क्रांतिकारी के वंशज होने का अधिकार

Republic Day special

आज तक नहीं मिला क्रांतिकारी के वंशज होने का अधिकार

जबलपुर। उनके मन में देश को आजाद देखने की ललक थी। एक ही धुन थी कि हर इमारत पर अब अपने वतन का झंडा हो। इस जुनून में उन्होंने शहर के टाउन हाल में तिरंगा फहरा दिया। बदले में मिले अंग्रेजों के जुल्म…। वे भी इतने कि किशोरावस्था में ही भुल्लू पटेल की मृत्यु हो गई। उनकी किशोर अवस्था की कुर्बानी पर पूरे शहर ने नाज किया, लेकिन विडम्बना ही कहें कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी उनका परिवार गुमनामी के अंधेरे में है। भुल्लू पटेल के परिजनों को आज तक क्रांतिकारी के परिजन होने का अधिकार नहीं मिल पाया। हर गणतंत्र दिवस पर भुल्लू के दादा नंदू पटेल और परिजनों के मन में भुल्लू की याद ताजा हो जाती है। एक उम्मीद भी जागती है कि शायद अब उन्हें कं्रांतिकारी भुल्लू के वंशज कहलाने का सरकारी अधिकार मिल जाए।

उत्साह से भरे थे भुल्लू
भुल्लू के दादा नंदू पटेल ने बताया कि आजादी के पहले गोरखपुर में हाऊबाग रेलवे स्टेशन के समीप खेत थे। इन्हीं खेतों के बीच उनका परिवार था। नंदू के दादा भुल्लू पटेल यहीं परिवार के साथ रहते थे। नंदू के अनुसार लोग बताते हैं कि उन दिनों देश में झंडा सत्याग्रह तेजी से चल रहा था। भुल्लू इसको लेकर उत्साहित थे। वे चाहते थे कि हर इमारत पर देश का तिरंगा लहराए।

पहुंच गए टाउन हाल
परिजनों के अनुसार भुल्लू के मन में आजादी के प्रति दीवानगी थी। सन् १९४० में वे अपने हम उम्र साथियों को लेकर पहुंचे और टाउन हॉल में तिरंगा फहरा दिया। इससे अंग्रेज खफा हो गए। भुल्लू और उनके साथियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। सजा पूरी होने के बाद वे जेल से बाहर तो आए लेकिन उसके बाद वे घर में आराम से नहीं रह पाए। हमेशा उन्हें अंग्रेज पकड़कर ले जाते थे और तरह-तरह की यातनाएं देते थे। अंतत: उनकी मौत हो गई

हर बार मिला आश्वासन
परिजनों के अनुसार देश की आजादी के बाद उन्होंने अपने पूर्वज भुल्लू के त्याग और समर्पण की बात अधिकारियों के समक्ष रखी। जिला प्रशासन के अधिकारियों को उस समय के जेल से संबंधित दस्तावेज व अन्य साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। कई बार आवेदन दिया, लेकिन हर बार आश्वासन ही हाथ लगे। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। परिजनों का कहना है कि क्रांतिकारी के परिजन का दर्जा वे केवल इसीलिए चाहते हैं कि आने वाली पीढिय़ां भी अपने पूर्वज भल्लू पटेल पर यूं ही नाज करती रहें।

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