स्टेशन पर पड़ी मिली वृद्धा
जर्जर देह, उम्र करीब ७० साल और कुछ भी बोलने में असमर्थ…। यह वृद्धा गुरुवार को मुख्य रेलवे स्टेशन के प्लेअफार्म क्रमांक -६ के बाहर पड़ी मिली। उसकी आंखों में बस आंसू और किसी का इंजतार था। लोगों की सूचना पर गरीब नवाज कमेटी के संयोजक सैयद इनायत अली व उनके साथी पहुंचे। वृद्धा से बातचीत का प्रयास किया, लेकिन सब व्यर्थ था। वह रोते हुए केवल यही बात कह रही थी कि उसकी दोनों मोडिय़ों (पोतियों) को वापस ला दो। पूछताछ पर पता चला कि वृद्धा के साथ एक १४ वर्ष और दूसरी करीब ११ वर्ष की लड़कियां थीं। वे दादी के साथ रेलवे स्टेशन के बाहर ही रहती थीं और भिक्षा मांगकर उदर पोषण करती थीं। दोनों पिछले हफ्ते से गायब हैं। उनका कोई पता नहीं चल रहा है।
अपरहण का संदेह
कमेटी के सदस्यों को इस बात ने हैरान कर दिया कि आखिर दोनों बच्चियां गई कहां..? उन्होंने पुलिस से संपर्क किया फिर अपने स्तर पर खोजबीन शुरू की। दो दिन बाद आज शनिवार को राजकुमारी बाई बाल निकेतन में वृद्धा की पोतियों का पता चला। इनायत व उनके साथियों ने खुशी-खुशी इसकी सूचना उनकी दादी को और उसे अपने साथ लेकर बाल निकेतन पहुंचे।
आंसुओं से बह निकला दर्द
बाल निकेतन में दोनों पोतियों को देखते ही वृद्धा फफककर रो पड़ी। पोतियों भी दादी के आंचल से लिपट गईं। अप्रत्याशित मिलन की यह खुशी उनकी आखों से भी आंसू बनकर बह निकली। इस दृश्य को देखे कमेटी व बाल निकेतन के सदस्यों की आखें भी नम हो गईं।
… और ये दर्दनाक कहानी
मिलन और रुदन के इस दौर में १४ वर्षीय सुरभि (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह नरसिंहपुर के समीप खमरिया गांव की रहने वाली हैं। मम्मी का सात साल पहले निधन हो गया। तीन साल पहले पापा भी स्वर्गवासी हो गए। वे दादी बुधिया बाई ही उनका सहारा थी। वह मजदूरी करके दोनों को पालती थी, लेकिन बच्चियों के बड़े होते ही गांव में अब शोहदों ने उन्हें छेडऩा शुरू कर दिया। पोतियों को गांव में असुरक्षित देखकर दादी उन्हें लेकर नरसिंहपुर रेलवे स्टेशन पर आ गई। काफी दिन तक वे वहीं रहीं। वहां भी शोहदों की नजर उन पर थी। पोतियों को उनकी बुरी नजर से बचाने के लिए दादी दो माह पहले उन्हें लेकर जबलपुर रेलवे स्टेशन आ गई और तीनों यहां मांग खाकर गुजर बसर करने लगे।
तब घबरा गई दादी
पिछले सप्ताह बुधिया की दोनों पोतियां स्टेशन से गायब हो गईं। इस पर रो रोकर उसका बुरा हाल हो गया। बाद में पता चला कि किसी नेक दिल व्यक्ति उसकी दोनों पोतियों को बाल निकेतन पहुंचा दिया। यहां दोनों पोतियां ठीक तो हैं, लेकिन दादी की कमी उन्हें भी रुला रही थी। शनिवार को इनायत व उनके साथी इमरान, रियाज, रेशु तिवारी, बाबू खान, मो. साबान, तौफीक आदि ने उनका मिलन कराया। यहां आने के बाद बुधिया पहली बार कुछ बोली। उसने कहा कि कुछ लोग उसे उठाकर वृद्धाश्रम ले गए थे। वह पोतियों के न मिलने कारण रोती रहती थी। यह देखकर वृद्धाश्रम के कर्मचारियों ने उसे वहां से भगा दिया। वृद्धा की पोतियों के कहने पर इनायत व उनके साथियों ने वृद्धा को अभी वापस स्टेशन पर छोड़ दिया है। जल्द ही वे अधिकारियों से मिलकर वृद्धा को सुरक्षित छांव दिलाने की भी पहल करेंगे।