खर्चा देकर ट्रेनों में ढोया जा रहा पार्सल
जबलपुरPublished: Mar 11, 2019 07:37:00 pm
छोटे स्टेशनों पर खाकी की मिलीभगत से लगाया जा रहा रेलवे को चूना, ट्रेन रवाना होने के बाद मुख्य द्वार से बाहर निकलवा दिया जाता लगेज
ट्रेन रवाना होने के बाद मुख्य द्वार से बाहर निकलवा दिया जाता लगेज
जबलपुर। एक्सप्रेस और पैसेन्जर ट्रेनों में खाकी की मिलीभगत से भारी भरकम पार्सल ढोकर रेलवे को चूना लगाया जा रहा है। छोटे स्टेशनों से ट्रेनों में भरकर लाए जाने वाले पार्सल को रात के अंधेरे में मुख्य द्वार से उस समय बाहर निकाला जा रहा है, जब ट्रेन के यात्री प्लेटफॉर्म से बाहर हो जाते हैं और चोरी से पार्सल लाने वाला व्यक्ति खाकी का इशारा मिलते ही पार्सल प्लेटफॉर्म से बाहर निकाल देता है। इस मामले में रेलवे के कार्मर्शियल विभाग या आरपीएफ अनजान हैं।
गाडरवारा, नरसिंहपुर, श्रीधाम आदि जगहों से बिना बुक किए पार्सल लाया जा रहा है। यह पार्सल कपड़े या फिर प्लास्टिक की बोरियों में लिपटा हुआ रहता है। बड़े साइज में इस पार्सल को प्लेटफॉर्म पर उतारकर छोड़ दिया जाता है और मौका मिलते ही इसे बाहर निकाल लिया जाता है। एेसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें श्रीधाम से बिना बुक किए लकड़ी की टोकरियां लाई गई। इसकी बुकिंग नहीं की गई थी, जिसे मदनमहल स्टेशन पर आसानी से बाहर निकाल लिया गया।
ट्रेन टॉयलेट के पास रखा जाता पार्सल
रेलवे स्टेशन पर पैसेंजरों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि टॉयलेट जाने में दिक्कत हो रही थी। उस जगह पर टोकरियों का पार्सल रखा हुआ था। दूसरा पार्सल उसके उपर था, जिससे उसे हटाया नहीं जा सका। पार्सल पूछने पर किसी भी यात्री ने उसे अपना नहीं बताया।
मदनमहल आते बोगी से फेंका
विंध्यांचल एक्सप्रेस के मदनमहल रेलवे स्टेशन पर खड़े होते ही पार्सल लाने वाले व्यक्ति ने टोकरियों की बोरी प्लेटफॉर्म पर फेंक दी और खुद बाहर की ओर आ गया। इस दौरन ट्रेन से उतरे यात्री बाहर निकलने लगे। कुछ ही देर में प्लेटफॉर्म के खाली होते ही पार्सल लाने वाले व्यक्ति ने उसे पीठ पर उठाया और बाहर चलता बना। बाहर आकर उसने परिसर में उसे रखने के बाद दूसरा पार्सल लेने वह फिर अंदर चला गया।
पार्सल लाने वाले लेखन से बातचीत के अंश
ये पार्सल कहां से ला रहे हो?
श्रीधाम से।
पार्सल बुक करने में तो ज्यादा पैसा लग गया होगा, क्योंकि इसका साइज काफी बड़ा है?
अरे, भैया एेसई ले आते हैं।
तो क्या टीटीई और पुलिस को खर्चा देते हो?
हां।
किसको देते हो काले कोट वाले को?
नहीं।
तो फिर किसे देते हो, पुलिस को?
हां। हफ्ते में एक बार तो लाते हैं।
कितना देते हो?
अरे, खर्चा दे देते हैं। श्रीधाम में दिया था अब यहां कोई बोलेगा तो उसे भी दे देंगे।