25 हजार मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं
जिला अस्पताल में प्रतिमाह औसतन 25 हजार मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। 5 हजार मरीज गंभीर रूप से पीडि़त होते हैं। इनके इलाज, ऑपरेशन से लेकर दूसरी जांच में गहन उपचार की जरूरत होती है। ऐसे में जरूरी है कि अस्पताल में मशीनें सही सलामत रहें। बावजूद इसके जिला अस्पताल में उपलब्ध मशीनों की स्थिति यह है कि सोनोग्राफी, सीबीसी, एक्सरे और डायलिसिस मशीन शोपीस बनकर रह गई हैं।
यहां एक सोनोग्राफी मशीन व एक रेडियोलॉजिस्ट हैं। इनके पास कोर्ट का काम होने के कारण सप्ताह में तीन दिन सेंटर बंद रहता है। गर्भवती सहित प्रतिदिन 80 से 90 लोग सोनोग्राफी के लिए पहुंचते हैं लेकिन 30 से 35 सोनोग्राफी ही हो पाती हैं।
शेष को 15 दिन की वेटिंग दी जा रही है
किडनी रोगियों के लिए 2015 में डायलिसिस सेंटर खोला गया। तीन में से एक डायलिसिस मशीन दो साल से बंद पड़ी है, जिसके चलते मरीजों का डायलिसिस नहीं हो पा रहा। दो मशीन से ही काम चलाया जा रहा है।
समस्याएं ये भी...
34 डॉक्टर व विशेषज्ञ की आवश्यकता, मौजूद मात्र 12।
25 क्लास-2 अधिकारी की आवश्यकता पर हैं मात्र 15।
07 मेट्रन की जगह 1, 153 की जगह 85 स्टॉफ नर्स।
09 कम्पाउंड चाहिए पर हैं 2, 8 में से 3 ही हैं ड्रेसर।
34 वार्ड ब्वॉय चाहिए लेकिन मात्र 8 हैं, 14 की बजाय 4 हैं स्वीपर।
26 जनवरी से शुरू होना था सीटी स्केन सेंटर, अब तक नहीं हुई व्यवस्था
68 पद ट्रॉमा सेंटर के लिए हुए हैं स्वीकृत, बगैर स्टाफ के ही मंत्री ने शुरू किया ट्रॉमा सेंटर
108 एंबुलेंस का लाभ भी जरूरत के दौरान मरीजों को नहीं मिल पाता है