Patrika Abhiyan: नर्मदा की हर बूंद को अमृत माना जाता है। नर्मदा जल से भरे पात्र में पैर भी लग जाए तो क्षमा मांगते हैं, क्योंकि उसमें मां नर्मदा का वास होता है। शास्त्रों में भी केवल प्राकृतिक पूजन का विधान है। समय के साथ हमने अपनी सहूलियत के अनुसार पूरी पूजन परपरा को बदल दिया है।
Patrika Abhiyan: तिलवारा घाट में मार्कंडेय धाम के संत विचित्र महाराज के सान्निध्य में संतों का समागम
अपशिष्ट पदार्थों और प्लास्टिक से बने पूजन पात्रों का विसर्जन कर नर्मदा के कंचन जल को दूषित कर रहे हैं। समय आ गया है अपनी सोच बदलने का। अन्यथा हमारी आने वाली पीढिय़ा हमें माफ नहीं करेंगी। ये बातें मार्कंडेय धाम तिलवाराघाट दक्षिण तट के महंत विचित्र महाराज ने गुरुवार को पत्रिका अभियान सुन लो मां नर्मदा की पुकार के तहत जन जागरुकता सभा और श्रमदान के दौरान उपस्थित लोगों को सबोधित करते हुए कहीं।
Patrika Abhiyan: मार्कंडेय धाम में पॉलीथिन का विक्रय होगा प्रतिबंधित
विचित्र महाराज ने मार्कंडेय धाम में पूर्ण रूप से पॉलीथिन युक्तपूजन सामग्री का विक्रय प्रतिबंधित करने के लिए कहा। आज के बाद हर पूजन में प्राकृतिक व ईको फ्रेंडली सामग्री का उपयोग होगा। नर्मदा तटों पर आने वालों को जागरूक कर पूजन में प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करने का संकल्प दिलाएंगे।
Patrika Abhiyan: कारसेवा कर प्लास्टिक कोटेड दोने और दीये के विसर्जन के खतरे के बारे में बताया
समाजसेवी नवनीत तिवारी ने कहा पहले तिलवाराघाट में पूजन सामग्री व दीपदान बेचने वालों की इक्का-दुकानें थीं। अब दर्जन भर से ज्यादा दुकानें खुल गईं हैं। इनमें पॉलीथिन कोटेड दोने, निन क्वालिटी का घी आदि बेचा जा रहा है। जो नर्मदा जल को दूषित करने के साथ जलीय जीवों का जीवन भी संकट में डाल रहा है। युवा साथी जन जागरुकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक करेंगे।
Patrika Abhiyan: हेल्दी लाइफ लाइन होना जरूरी
पत्रिका अभियान में शामिल होने पहुंचीं महाकोशल कॉलेज की स्पोर्ट्स ऑफिसर डॉ. ज्योति जुनगरे ने युवाओं को सबोधित करते हुए कहा कि मां नर्मदा प्रदेश की लाइफ लाइन है। उनकी धडकऩों में बीमारी के बैक्टिरिया लग रहे हैं, जो जल रूपी नसों को विषैले पदार्थों से दूषित कर रहे हैं। आप और हम सब मिलकर प्रयास करें तो कुछ ही दिनों में वे दोबारा हेल्दी हो जाएंगी।
युवाओं की पहली जिमेदारी
श्री कृष्णा फाउंडेशन के संयोजक राजेश पटेल और साथियों ने तिलवाराघाट में श्रमदान कर प्रदूषण मुक्त जल स्रोतों की जानकारी दी। कहा कि नदी, तालाबों व धरती को पॉलीथिन के ग्रहण से बचाने के लिए युवाओं को आने आना होगा। क्योंकि उनके भविष्य में ये बड़ी मुसीबत बनकर खड़ी होगी। इसलिए सुखद भविष्य और स्वच्छ जल, धरती और वायुमंडल के लिए अभी से तैयार हो जाएं।