जब मशीन ने दिया धोखा
बड़ा फुहारा निवासी साधना अवस्थी २८ दिसंबर को बाकायदा पूरी तैयारी करके सुबह की पाली में परीक्षा देने पहुचीं। उन्हें ज्ञान गंगा कॉलेज में सेंटर मिला था। यहां डाक्यूमेंट वैरीफिकेशन की सारी प्रक्रियाएं पूर्ण कर ली गईं, लेकिन जब पेपर देने के लिए लॉगिन करने उसने बायोमेट्रिक मशीन पर अपना अंगूठा रखा तो उसके निशान मैच नहीं हुए। ऐसी स्थिति में निरीक्षकों ने समय सीमा में अभ्यर्थी के फिगर प्रिंट मैच करने के लिए बायोमैट्रिक मशीन पर भरकर प्रयास किए, लेकिन अंतत: ९ बज गए और लॉगिन होने की समय सीमा समाप्त होने के बाद प्रयास बंद कर दिए गए और साधना परीक्षा से वंचित हो गईं।
काम करें यहां कुछ नहीं हुआ है। हालांकि आधे घंटे बाद युवती की बहन आ गई और वह उसे लेकर घर चली गई।
किसकी गलती
यहां सोचने वाली बात यह है कि जब पटवारी का फार्म ऑनलाइन भरा गया था तब उक्त अभ्यर्थी की प्रोफाइल बनाई गई थी और उस बयोमेटिक मशीन में उसके फिंगर प्रिंट वैरीफिकेशन किया गया था, तो फिर कॉलेज की बायोमेट्रिक मशीन में उक्त अभ्यर्थी के फिंगर प्रिंट मैच क्यों नहीं हुए। वहीं अगर फिंगर प्रिंट मैच नहीं हुए तो तो क्या यह मान लिया जाए कि ईश्वर ने उसकी रेखाएं बदल दी हैं या बायोमेट्रिक मशीन में कोई फाल्ट है। अगर बायोमेट्रिक मशीन में फाल्ट था तो उस अभ्यर्थी को किसी दूसरे तरीके से लॉगिन होने का विकल्प दिया जाना था, लेकिन नहीं दिया गया।
एक पोस्ट के लिए अलग-अलग ज्ञान की परीक्षा
्रपटवारी परीक्षा के लिए ९ से २९ दिसम्बर तक दो पालियों में परीक्षा ली गई। परीक्षा के लिए कुल २१ दिनों में ४२ सेट बनाए गए थे। इससे हुआ यह कि कुछ अभ्यर्थियों को तो सामान्य ज्ञान के सरल प्रश्र परोसे गए लेकिन कुछ से तो उच्चस्तरीय सामान्य ज्ञान पूछ लिया गया और ऐसा होता भी क्यों नहीं आखिर पेपर सेट करने वाला भी तो इंसान ही है और कितने दिन सामान्य ज्ञान के सरल प्रश्र पूजते है।