फुटपाथ पर कब्जा, पहाड़ी पर मकान, पुल पर भी दुकान
जबलपुर•Aug 12, 2019 / 09:33 pm•
shyam bihari
atikraman
जबलपुर। वैसे तो जबलपुर शहर के लोग भागमभाग में विश्वास नहीं करते। यहां के कारोबारी बड़े आराम से दुकान पर बैठे नजर आ जाते हैं। अधिकतर दुकानदारों को मानना होता है कि ग्राहक तो आएगा ही। उसकी मर्जी होगी, तभी वह खरीदारी करेगा। लेकिन, दूसरी तरफ सरकारी या सार्वजनिक स्थलों पर दुकानें सजाने की मानो होड़ लगी रहती है। निगम प्रशासन फुटपाथ बनवाता है। अगले दिन वहां दुकानें सज जाती हैं। पहाडिय़ों पर मकान बन जाते हैं। नाले पक्के कराए जाते हैं, तो वहां पूरा बाजार सजने लगता है। यहां तक कि पुलों के ऊपर भी ठेले सजे रहते हैं। लेफ्टटर्न पर कब्जा तो आम बात है। पुलिस की कार्रवाई खानापूर्ति की तरह होती है। एक तरफ से अतिक्रमण हटते हैं। दूसरी तरफ से फिर कब्जे हो जाते हैं।
यहां तो हद हो गई
पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए करोड़ों खर्च कर नॉन मोटराइज्ड ट्रैक (एनएमटी) बनाया गया। दावा था कि अब यातायात का दबाव नहीं झेलना पड़ेगा। साइकिलिंग के अभ्यास के लिए एथलीट्स व आमजन को प्लेटफॉर्म मिलेगा। लेकिन, हद हो गई कि एनएमटी में सब्जी और फल की लाइन से दुकान लग रही हैं। कई स्थानों पर यह पार्किंग स्थल में तब्दील हो गया। सड़क की दायीं व बायीं दोनों ओर एनएमटी में सैकड़ों दुकानें लग रही हैं। इनमें सब्जी, फल, कपड़े वालों की दुकान शामिल हैं। सुबह से ही दुकान लगना शुरू हो जाती हैं और रात तक ये ही नजारा रहता है।
दुकानदारों और आस-पास रहने वालों की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी। एनएमटी का उपयोग धड़ल्ले से पार्किंग के लिए किया जा रहा है। पूछने पर कहते हैं कि यहां साइकिल कौन चलाने आता है? जगह खाली है कि पार्किंग करने में क्या हर्ज है? एनएमटी का निर्माण स्मार्ट सिटी योजना के तहत किया गया है। इस बारे में जिम्मेदारों का कहना है कि नॉन मोटराइज्ड ट्रेक में जो दुकान लग रही हैं उन्हें हटाया जाएगा। अतिक्रमण निरोधी दस्ता व जोन के अधिकारी को निर्देशित करेंगे की कार्रवाई की जाए। हालांकि, जिम्मेदारों की कार्रवाई का डर किसी भी अतिक्रमणकारी पर होता नहीं। सबका कहना होता है कि घंटे-दो घंटे के लिए दुकान हटा लेंगे। बाद में फिर वहीं जम जाएंगे।
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