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आबादी में पांचवां और लम्बित मामलों में देश का छठा राज्य है मप्र

locationजबलपुरPublished: Mar 21, 2019 01:24:01 am

Submitted by:

praveen chaturvedi

लम्बित मामलों की संख्या के लिहाज से मप्र हाईकोर्ट का देश में छठा स्थान है। पांचवें स्थान पर हैदराबाद हाईकोर्ट है।

आबादी में पांचवां और लम्बित मामलों में देश का छठा राज्य है मप्र

mp high court

जबलपुर। 2019 की जनगणना के अनुसार मप्र की आबादी 7.259 करोड़ थी। इस हिसाब से इसका देश में पांचवां नम्बर है। बढ़ती आबादी के लिहाज से मप्र हाईकोर्ट में लम्बित मामलों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। लम्बित मामलों की संख्या के लिहाज से मप्र हाईकोर्ट का देश में छठा स्थान है। पांचवें स्थान पर हैदराबाद हाईकोर्ट है। वहां 363146 मामले लम्बित है। मप्र हाईकोर्ट में 333905 मामले लम्बित हैं।

पांच साल में दोगुनी पेंडेंसी
अन्य राज्यों के हाईकोर्ट की तुलना में मप्र हाईकोर्ट तकनीकी रूप से ज्यादा समृद्ध और मजबूत है। यहां का अधिकतर कामकाज ऑनलाइन होने लगा है। इसके बावजूद इसकी तीनों खंडपीठों में जजों की कमी के चलते लम्बित मुकदमों का बोझ तीन लाख 33 हजार के पार पहुंच गया है। बीते पांच साल में हर साल पेंडेंसी की दर इस कदर बढ़ी है कि यह दोगुनी हो गई है। जजों की कमी को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। 53 स्वीकृत पदों की तुलना में अभी 19 जजों की कमी है। हाईकोर्ट की पेंडेंसी कम करने के लिए एक समान केस की एक साथ लिस्टिंग, पांच साल से पुराने मामलों को जल्द निराकृतत करने की फाइव प्लस जीरो स्कीम, नियमित व विशेष लोक अदालत, मीडिएशन, प्ली बारगेनिंग आदि प्रयासों से लम्बित मामलों की संख्या पर नियंत्रण लगाने के प्रयास हो रहे हैं।

केंद्र सरकार को हाईकोर्ट ने लिखा था पत्र
मप्र हाईकोर्ट ने 2018 में पेंडेंसी पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय विधि एवं विधायी कार्य मंत्रालय व केंद्रीय न्याय मंत्रालय को पत्र लिखा था। इसमें मप्र हाईकोर्ट में स्वीकृत जजों के पद 53 से बढ़ा कर 68 करने का आग्रह किया गया। प्रस्ताव केंद्र सरकार से जल्द स्वीकृत होने की सम्भावना है। उम्मीद है साल के अंत तक मप्र हाईकोर्ट को नए जज मिल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्तिके लिए मेमोरंडम ऑफ प्रोसीजर क्लीयर कर दिया है।

मुख्यपीठ में तीन डिवीजन बेंच
हाइकोर्ट की तीनो खंडपीठों में कुल 3४ न्यायाधीश कार्यरत हैं। मुख्यपीठ जबलपुर में अभी नियमित रूप से चीफ जस्टिस के अलावा अन्य तीन वरिष्ठ जजों आरएस झा, एचजी रमेश व जेके महेश्वरी की अध्यक्षता में डिवीजन बेंच बैठती हैं। नियमित रूप से 18 सिंगल बेंच भी सुनवाई करती हैं। डिवीजन बेंच के समक्ष जनहित याचिकाएं, संवैधानिकता को चुनौती, हाई प्रोफाइल मामले, 10 साल से अधिक सजा के खिलाफ अपीलेंं, उच्च शिक्षा, माइनिंग व व्यापमं से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है।

जजों के पदों की स्थिति
स्वीकृत पद : 53
तैनात जज :34
खाली पद : 19
जबलपुर में लग रहीं बेंच : 18
प्रतिदिन एक जज की ओर से औसतन सुने जाने वाले मामले : 50-75
एक बेंच की कॉज लिस्ट में हर दिन लगने वाले मामले अधिकतम : 150

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