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इस शहर में बहरे हो रहे लोग, बंद हो रहा सुनाई देना

locationजबलपुरPublished: Feb 10, 2018 01:39:16 pm

Submitted by:

Lalit kostha

मानकों का पालन नहीं, शांत क्षेत्र में 50 डेसीबल से ज्यादा शोर, शहर में बेखटके बजा रहे कोन स्पीकर

noise nuisance

noise nuisance

जबलपुर। लोगों के सुनने की क्षमता कम हो रही है। गाड़ी से लेकर लाउडस्पीकर का शोर इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इसी बात को देखते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ तमिलनाडु में ध्वनि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कोन स्पीकर्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। जबलपुर में भी पर्वों के सीजन में कोन स्पीकर्स की कतारें लंबी-लंबी दूरी तक दिखाई देती हैं। इस दौरान ध्वनि प्रदूषण का स्तर खतरनाक हद तक बढ़ जाता है। इसके बावजूद इनका प्रयोग बेखटके किया जा रहा है। वहीं इस सब के लिए जिम्मेदार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केवल नोटिस तक सीमित रह गया है।

न मॉनीटरिंग न कोई कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग रात को १० से सुबह ६ बजे तक कतई नहीं किया जा सकता। लेकिन इस निर्देश का पालन कहीं नजर नहीं आ रहा। देर रात धार्मिंक संस्थानों में ये कोन स्पीकर तेज आवाज में बजते देखे जा सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि सर्वोच्च अदालत के आदेश के बावजूद ध्वनि प्रदूषण की न तो मॉनीटरिंग की जा रही है और ना ही मानकों का उल्लंघन करने वालों पर कोई कार्रवाई हो रही है।

बीते साल पर्वों के सीजन में ये था आंकड़ा
औद्योगिक क्षेत्र रिछाई
न्यूनतम शोर 42 डेसिबल
अधिकतम शोर 106 डेसिबल
औसत शोर 74 डेसिबल
पिछले वर्ष का औसत शोर 75 डेसि.

व्यवसायिक क्षेत्र अधारताल
न्यूनतम शोर 41 डेसिबल
अधिकतम शोर 101 डेसिबल
औसत शोर 71 डेसिबल
पिछले वर्ष का औसत शोर 76 डेसि.

आवासीय क्षेत्र विजय नगर
न्यूनतम शोर 42 डेसिबल
अधिकतम शोर 104 डेसिबल
औसत शोर 73 डेसीबल
पिछले साल का औसत शोर 75डेसि.

शांत जोन जीआरपी मैदान
न्यूनतम शोर 40 डेसिबल
अधिक तम शोर 102 डेसिबल
औसत शोर 71 डेसिबल
पिछले साल का औसत शोर 74 डेसि.

प्रदूषण मंडल ने नागरिकों को एडवायजरी जारी कर अपील की है कि अनावश्यक रुप से हॉर्न व प्रेशर हॉर्न का उपयोग न करें। रात को लाउडस्पीकर न बजाएं। इसकी समय-समय पर औचक जांच की जा रही है।
– एसएन द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल

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