न मॉनीटरिंग न कोई कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग रात को १० से सुबह ६ बजे तक कतई नहीं किया जा सकता। लेकिन इस निर्देश का पालन कहीं नजर नहीं आ रहा। देर रात धार्मिंक संस्थानों में ये कोन स्पीकर तेज आवाज में बजते देखे जा सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि सर्वोच्च अदालत के आदेश के बावजूद ध्वनि प्रदूषण की न तो मॉनीटरिंग की जा रही है और ना ही मानकों का उल्लंघन करने वालों पर कोई कार्रवाई हो रही है।
बीते साल पर्वों के सीजन में ये था आंकड़ा
औद्योगिक क्षेत्र रिछाई
न्यूनतम शोर 42 डेसिबल
अधिकतम शोर 106 डेसिबल
औसत शोर 74 डेसिबल
पिछले वर्ष का औसत शोर 75 डेसि.
व्यवसायिक क्षेत्र अधारताल
न्यूनतम शोर 41 डेसिबल
अधिकतम शोर 101 डेसिबल
औसत शोर 71 डेसिबल
पिछले वर्ष का औसत शोर 76 डेसि.
आवासीय क्षेत्र विजय नगर
न्यूनतम शोर 42 डेसिबल
अधिकतम शोर 104 डेसिबल
औसत शोर 73 डेसीबल
पिछले साल का औसत शोर 75डेसि.
शांत जोन जीआरपी मैदान
न्यूनतम शोर 40 डेसिबल
अधिक तम शोर 102 डेसिबल
औसत शोर 71 डेसिबल
पिछले साल का औसत शोर 74 डेसि.
प्रदूषण मंडल ने नागरिकों को एडवायजरी जारी कर अपील की है कि अनावश्यक रुप से हॉर्न व प्रेशर हॉर्न का उपयोग न करें। रात को लाउडस्पीकर न बजाएं। इसकी समय-समय पर औचक जांच की जा रही है।
– एसएन द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल