जबलपुरPublished: Aug 06, 2022 12:12:20 pm
Rahul Mishra
शहडोल जिले के अमलाई थानांतर्गत 2015 में 12 वर्ष की बालिका से रेप के बाद उसकी हत्या कर लाश धान के पैरा के नीचे छिपा देने वाले दरिंदे को अब फांसी नहीं होगी। मप्र हाईकोर्ट ने शहडोल जिला अदालत के फैसले को बदलते हुए कहा कि मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस पीसी गुप्ता की कोर्ट ने फांसी की सजा 35 वर्ष सश्रम व बिना छूट की सजा में बदल दी।
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हाईकोर्ट ने बदला शहडोल जिला अदालत का फैसला,2015 में हुई थी वारदात
जबलपुर।
शहडोल जिले के अमलाई थानांतर्गत 2015 में 12 वर्ष की बालिका से रेप के बाद उसकी हत्या कर लाश धान के पैरा के नीचे छिपा देने वाले दरिंदे को अब फांसी नहीं होगी। मप्र हाईकोर्ट ने शहडोल जिला अदालत के फैसले को बदलते हुए कहा कि मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस पीसी गुप्ता की कोर्ट ने फांसी की सजा 35 वर्ष सश्रम व बिना छूट की सजा में बदल दी।
अभियोजन के अनुसार 9 जून 2015 को 6 वीं पढऩे वाली मासूम को रामनाथ केवट (28 वर्ष, निवासी झगरहा थाना अमलाई )बहला फुसलाकर बालिका के पड़ोस में स्थित सुनसान कमरे में ले गया था। जहां पर मासूम के साथ दुष्कर्म किया था। परिजनों ने कई जगहों में पतासाजी की लेकिन सुराग नहीं मिला। बाद में मासूम की लाश घर के नजदीक मिली थी। आरोपी ने साक्ष्य छिपाने के लिए मासूम की हत्या कर दी थी। हत्या के बाद आरोपी ने मासूम की लाश को एक सुनसान घर में पैरा के ढेर के नीचे छिपा दिया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या और दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया था। मामले की सुनवाई बुढ़ार न्यायालय में की गई थी। बुढार विशेष न्यायालय ने 5 मार्च 2019 को आरोपी रामनाथ केवट को दुष्कर्म के आरोप में मृत्युदण्ड और हत्या के मामले में मृत्युदण्ड की सजा सुनाई थी । साथ ही कहा था कि आरोपी को गर्दन फांसी लगाकर तब तक लटकाकर रखा जाए जब तक मौत न हो जाए। इसी आदेश को शहडोल जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पुष्टि के लिए हाईकोर्ट भेजा था। आरोपी की ओर से भी सजा के खिलाफ अपील दायर की गई थी। दोनों की सुनवाई एक साथ हुई।
हाईकोर्ट ने यह लिए आधार-
1. आरोपी का क्रिमिनल रेकॉर्ड नहीं है।
2.आरोपी की आयु कम है।
3.व्यक्ति या समाज को आतंकित करने के लिए अपराध नहीं हुआ।
4.कोई हथियार नहीं प्रयोग किया गया।
5. अपराध सुनियोजित नहीं था।