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जबलपुर

किसान ड्रोन से कर सकेंगे कीटनाशक का छिड़काव, 23 हजार गांव तक तकनीक पहुंचाने का लक्ष्य

नवाचार : गांवों में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर होंगे सृजित

जबलपुरDec 14, 2022 / 07:23 pm

reetesh pyasi

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जबलपुर। शहर के युवाओं का ड्रोन की मदद से खेत में दवा के छिड़काव का प्रयोग अलग पहचान बना रहा है। देश का सबसे बड़ा जबलपुर में निर्मित स्वचलित ड्रोन अगले माह जनवरी में 60 लीटर की क्षमता के साथ उड़ान भरेगा। यानी एक बार की उड़ान में लगभग तीन एकड़ के खेत में दवा का छिड़काव कर सकेगा। अभी तक ड्रोन की क्षमता 30 लीटर की है। ड्रोन की दो बैट्री 50 मिनट में एक साथ चार्ज हो जाती हैं।
शहर के इन्क्यूबेशन सेंटर में रजिस्टर्ड ड्रोन कंपनी के प्रमुख सदस्य अभिनव सिंह ठाकुर ने बताया कि स्वचलित ड्रोन प्रदेश की हर ग्राम पंचायत के स्तर पर उपलब्ध होगा। ड्रोन सेटअप के माध्यम से गांवों में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने 23 हजार स्वचलित ड्रोन बनाने का लक्ष्य रखा है। इस स्टार्टअप में निवेश के लिए नार्वे के एक निवेशक आगे आए हैं। अभिनव का कहना है कि बड़े निवेशक साथ आते हैं तो वृहद स्तर पर एक साथ ड्रोन का निर्माण करेंगे। अन्यथा एक बार में लगभग एक हजार ड्रोन का निर्माण करेंगे। अभी ड्रोन बनाने की लागत साढ़े चार लाख के लगभग आती है। स्वचलित ड्रोन बैटरी डिस्चार्ज होते ही वापस आ जाता है। 1 घंटे में स्वचलित ड्रोन 15 से 20 एकड़ में दवा का छिड़काव करता है।
खेत में नहीं जाना पड़ेगा
ड्रोन से दवा के छिड़काव से किसानों को खेतों में नहीं जाना पड़ता है। जिससे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचता और किसान भी दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव से बचता है। ड्रोन से होने वाले छिड़काव में दवा का भी कम इस्तेमाल होता है। कम समय पूरे खेत में एक समान छिड़काव होता है। गन्ना, मक्का, अरहर जैसी ऊंची फसल व धान के खेत जहां पानी भरा होता है, इन फसलों के लिए ड्रोन से दवा का छिड़काव उपयोगी है।

2019 में बनाया पहला ड्रोन
जबलपुर इनक्यूबेशन सेंटर में रजिस्टर्ड स्टार्टअप ओआरसी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2019 में पहला ड्रोन बनाया था। इस स्टार्टअप की शुरुआत 2014 में हुई। संस्थापक अभिनव सिंह ठाकुर और अनुराग चांदना और उनकी टीम अपने प्रोजेक्ट पर लगातार काम कर रही थी। वे कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हाई-टेक उत्पाद का निर्माण कर रहे हैं। ये टीम एग्रीकल्चर ड्रोन के प्रयोग पर बीएचयू के साथ भी काम कर रही है। जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार में गेहूं की बुआई भविष्य में ड्रोन के माध्यम से की जाना है। शहर के युवाओं की टीम प्रदेश के लगभग सभी जिलों में एग्रीकल्चर ड्रोन की सुविधा प्रदान करने के साथ ही उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के भी कुछ जिलों में सेवा विस्तार कर रही है।

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