ड्रोन से दवा के छिड़काव से किसानों को खेतों में नहीं जाना पड़ता है। जिससे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचता और किसान भी दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव से बचता है। ड्रोन से होने वाले छिड़काव में दवा का भी कम इस्तेमाल होता है। कम समय पूरे खेत में एक समान छिड़काव होता है। गन्ना, मक्का, अरहर जैसी ऊंची फसल व धान के खेत जहां पानी भरा होता है, इन फसलों के लिए ड्रोन से दवा का छिड़काव उपयोगी है।
जबलपुर इनक्यूबेशन सेंटर में रजिस्टर्ड स्टार्टअप ओआरसी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2019 में पहला ड्रोन बनाया था। इस स्टार्टअप की शुरुआत 2014 में हुई। संस्थापक अभिनव सिंह ठाकुर और अनुराग चांदना और उनकी टीम अपने प्रोजेक्ट पर लगातार काम कर रही थी। वे कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हाई-टेक उत्पाद का निर्माण कर रहे हैं। ये टीम एग्रीकल्चर ड्रोन के प्रयोग पर बीएचयू के साथ भी काम कर रही है। जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार में गेहूं की बुआई भविष्य में ड्रोन के माध्यम से की जाना है। शहर के युवाओं की टीम प्रदेश के लगभग सभी जिलों में एग्रीकल्चर ड्रोन की सुविधा प्रदान करने के साथ ही उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के भी कुछ जिलों में सेवा विस्तार कर रही है।