जानकारी के मुताबिक वीरेंद्र केसवानी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में याचिका दायर कर एंबुलेंस घोटाला प्रकरण में अब तक कोई कार्रवाई न होने का मामला उठाया है। हालांकि बताया जा रहा है कि इस मामले में पूर्व में हुई विभागीय जांच में लाखों के रिकवरी और एफआईआर के आदेश भी हो चुके हैं।
बता दें कि यह प्रकरण 2012-13 वित्तीय वर्ष से जुड़ा हुआ है, जब प्रदेश में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना संचालित थी। योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में किराए से ऐसी एंबुलेंस मुहैया कराई जानी थी, जो अस्पतालनुमा हो और चलते-फिरते जरूरतमंदों को इलाज मुहैया कराने में सक्षम हो। इस योजना के तहत गजानन शिक्षा व जन सेवा समिति को ठेका दिया गया जिसके अध्यक्ष पूर्व मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे और सचिव उनकी पत्नी ज्योति धुर्वे थी।
आरोप है कि योजना के तहत समिति ने डिंडोरी जिले में कई एंबुलेंस उपलब्ध कराई गईं जिसके एवज में जो बिल लगाए गए उससे जमकर काली कमाई अर्जित की गई। याचिकाकर्ता के अनुसार इस मामले में जब जांच बिठाई गई तो पता चला कि एंबुलेंस के नाम पर ट्रक, फायर ब्रिगेड, स्कूल बस और ट्रैक्टर के नंबर देकर लाखों का भुगतान ले लिया गया था। इस मामले में 2013 में डिंडोरी में तैनात रहे तत्कालीन कलेक्टर और 2016 में तत्कालीन कलेक्टर रही छवि भारद्वाज ने नोटशीट चलाते हुए रिकवरी समेत अन्य आवश्यक कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। लेकिन 2016 के बाद यह फाइल बंद है। जनहित याचिका की प्राथमिक सुनवाई में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इस प्रकरण में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।