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पेट्रोल-डीजल की कीमत की रोजाना समीक्षा से फायदा कम, नुकसान ज्यादा
धीरे-धीरे लगा जोर का झटका, साल भर में 11 रुपए बढ़ गए तेलों के दाम
डेली प्राइज रिवीजन (डीपीआर) यानि पेट्रोल और डीजल की कीमतों की रोजाना समीक्षा की प्रणाली ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुई। इसे लागू हुए 16 जून को एक साल हो गए। माना जा रहा था कि रोज दाम बदलेंगे, तो उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
लेकिन, एेसा नहीं हुआ। एक साल में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में 10 से 11 रुपए का इजाफा हो गया। 15 दिन पहले की बात करें, तो यह आंकड़ा 12 रुपए तक पहुंच गया था। पेट्रोलियम कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कू्रड ऑयल को आधार मानती रहीं। इसलिए एक साल में हर माह औसतन एक रुपए लीटर की वृद्धि हुई। यह धीरे-धीरे हुआ, इसलिए ग्राहक समझ नहीं पाए। केवल मई के आखिर और इस माह के शुरू में जब पेट्रोल 84 तो डीजल 73 रुपए लीटर से ऊपर पहुंच गया था, तब जरूर हो-हल्ला मचा।
ऑटोमेशन अब तक पूरा नहीं
डीपीआर के लागू होने के साथ ही सभी पेट्रोल पम्पों का ऑटोमेशन किया जाना था, लेकिन यह काम एक साल में भी पूरा नहीं हुआ। जिले में तीनों पेट्रोलियम कंपनियां हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम एवं इंडियन ऑयल के करीब सवा सौ पेट्रोल एवं डीजल पम्प हैं। अब तक करीब 70 फीसदी पम्पों में ऑटोमेशन हुआ है। लेकिन, कनेक्शन नहीं हुआ। इसका फायदा यह होता कि डीलर्स को रोजाना पम्प पर रेट नहीं बदलने पड़ते।