जबलपुर. शहर की एक कॉलोनी भी ऐसी नहीं बची है, जहां पिग का दड़बा नहीं है। इन कॉलोनी की सूनी जगह या फिर कीचड़ भरे क्षेत्रों में पिग हाउस बने हुए हैं, जिससे ये जानवर भोजन की तलाश में दिन भर कॉलोनियों में घूमते रहते हैं। इससे हो यह रहा है कि लोगों ने घरों से बाहर निकलना बंद सा कर दिया है।
पांच वर्ष पहले पकड़े जाते थे पिग जानकार कहते हैं कि पांच वर्ष पहले पिग पकडऩे का ठेका नगर निगम ने दिया हुआ था। इसमें टीम बस्ती, कॉलोनियों में घूमने वाले पिग को पकड़ती थी लेकिन समय गुजरने के साथ यह बंद हो गया, जिससे इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। गौरतलब है कि निगम ने कठौंदा में पिग हाउस भी बनाकर रखा हुआ है, जिसमें ताला ही पड़ा रहता है।
कोरोना के पहले आई थी टीम जानकार कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल के पहले बाहरी जिलों से टीम आई थी लेकिन कुछ ही दिनों में उन्होंने हाथ समेट लिए थे, जिसके बाद से पिग पकडऩा ठप्प हो गया।
ये हैं हालात कॉलोनियों में खड़े वाहन हो रहे क्षतिग्रस्त टक्कर से बच्चे हो रहे घायल देवालय जाने वाले लोगों की आस्था हो रही प्रभावित जगह-जगह जमीन कर रहे खराब
जाली का तैयार किया जा रहा हाउस पिग पकडऩे के लिए कई बार ठेका किया गया है लेकिन उसे कोई लेने नहीं आ रहा है। इस बार ठेके में बदलाव किया जाएगा, जिससे इसे पकडऩे ठेका हो सकेगा।
भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम