नर्मदा तीर्थ में श्राद्ध कर्म करेंगे लोग, मिलेगी मातृ ऋण मुक्ति
पितृ पक्ष में तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म किया जाता है। इसमें एक दिन मातृ पितरों के लिए विशेष है। इस दिन मातृ पितरों को पिंडदान व तर्पण किया जाता है। जबकि, पितृ मोक्ष अमावस्या को ज्ञात, अज्ञात सभी पितरों को जल तर्पण किया जाता है। ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार मातृ नवमीं के दिन तर्पण करने से मात़ृ ऋण से मुक्ति मिलती है। तीन अक्टूबर को मातृ नवमीं तिथि है। पितृ पक्ष में इस दिन महिला वस्त्रों का दान, असहायों को भोजन एवं उनकी मदद की जाती है। इससे मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन के सारे सुख मिलते हैं, आय बढ़ती है- कारोबार में भी वृद्धि होती है। ग्वारीघाट के तीर्थ पुरोहित अभिषेक मिश्रा ने बताया, पितृ पक्ष में सूर्योदय से सूर्यास्त तक लोग श्राद्ध कर्म कर रहे हैं। दूर दराज के लोग तीर्थ स्थल में पिंडदान करने आ रहे हैं। मातृ नवमीं को काफी संख्या में श्रद्धालु श्राद्ध कर्म करने आते हैं।
पितरों का ऐसे करें आवाहन
पितृ मोक्ष अमावस्या तिथि नौ अक्टूबर को सभी पितरों को तर्पण किया जाएगा। पितरों को संतृप्त करने के लिए कई स्थानों पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। पितृ पक्ष में श्रीमद् भागवत कथा का महत्व और बढ़ जाता है। श्रीमद् भागवत ग्रंथ के अनुसार इस कथा के श्रवण से सात पीढ़ी तृप्त हो जाती हैं। जिस परिवार में भागवत कथा होती है, वे अपने पितरों का आवाहन करते हैं और कथा श्रवण के लिए पितर वायु रूप में आते हैं।