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जबलपुर

पितृ मोक्ष अमावस्या : इस विधि से किया गया श्राद्ध कर्म पितरों को पहुंचाएगा बैकुंठधाम

– श्राद्ध कर्म और तर्पण कर होगी पितरों की विदाई- पितृ मोक्ष अमावस्या कल- नर्मदा तट पर श्राद्ध कर्म करने पहुंच रहे हैं श्रद्धालु- बाढ़ के दौरान ग्वारीघाट में नहीं है रोशनी का इंतजाम

जबलपुरSep 27, 2019 / 01:18 am

abhishek dixit

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pitru moksha amavasya 2019

जबलपुर. पितृपक्ष में सूर्योदय होते ही नर्मदा तटों पर तर्पण एवं श्राद्ध कर लोग अपने पितरों की शांति कर उन्हें प्रसन्न कर रहे हैं। पितृपक्ष में तिथि के अनुसार पूर्वजों के श्राद्ध कर्म किए जा रहे हैं। अंतिम दिन शनिवार को पितृ मोक्ष अमावस्या को भूले बिसरे पितरों को भी तर्पण कर सुख-शांति की प्रार्थना की जाएगी। ग्वारीघाट में महाकोशल क्षेत्र के विभिन्न जिलों के लोग तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करने आ रहे हैं।

पितृपक्ष में इस वर्ष में बाढ़ के कारण जल स्तर कम और ज्यादा हो रहा है। इस कारण लाइट कनेक्शन काट दिए गए हैं। रात में तटों पर अंधेरा और सन्नाटा हो जाता है। तीर्थ पुरोहितों क अनुसार गया तीर्थ से पितरों का श्राद्ध कर्म करने आने वाले लोग नर्मदा तट पर तर्पण के बाद ही घर जाते हैं। कुछ श्रद्धालु रातों में आते हैं। जल स्तर कम ज्यादा होने के कारण स्वच्छता व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। शनिवार को नर्मदा तट पर काफी संख्या में लोग श्राद्ध कर्म करने के जाएंगे।

महिला श्रद्धालु भी कर रही है तर्पण
तीर्थ पुरोहित अभिषेक मिश्रा ने बताया, पितृपक्ष में जिन परिवार में पुरूष घर नहीं हैं, उनके परिवार की महिलाएं विधि विधान से श्राद्ध कर्म कर रही हैं। पति, पिता, सास या ससुर को तर्पण कर महिलाएं तृप्त कर रही है ताकि पितृपक्ष में वे आशीर्वाद देकर बैंकुंठ धाम जाएं। पितृपक्ष में लोग तटों पर दान पुण्य एवं सेवा कार्य कर रहे हैं।

निशान से होती है पंडों की पहचान
ग्वारीघाट के तीर्थ पुरोहितों की बही में यजमानों के कई पीढिय़ों का लेखा जोखा है। समाज और जिलेवार बनाए गए दस्तावेजों में कौन कब आया और किसका श्राद्ध कर्म कराया, यह सब दर्ज है। यहीं नहीं, लोटा वाले, नारियल वाले, पांच नारियल वाले, त्रिशूल वाले और डमरू वाले पंडा के निशान से ही उनके यजमान ढूढ़ते आते हैं। तीर्थ पुरोहित अशोक दुबे ने बताया, उनकी बही में 250 वर्षों का लेखा लोखा है। कुछ लोग ऐसे भी आते हैं, जो वर्षों से विदेशों में रहने लगे हैं।

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