जबलपुरPublished: Sep 24, 2019 11:59:02 am
गोविंदराम ठाकरे
– पितृ मोक्ष अमावस्या तिथि 28 सितंबर को नर्मदा तीर्थ में विशेष श्राद्ध कर्म करेंगे श्रद्धालु
Pitru Paksha 2019
जबलपुर. पितृ पक्ष में लोग नियमित रूप से नर्मदा तटों पर तर्पण एवं श्राद्ध कर्म कर रहे हैं। पितृ पक्ष में पितरों के तर्पण के लिए विशेष व्यवस्थाएं बनाई गई हैं। पितरों को तिथि के अनुसार तर्पण कर श्राद्ध कर्म किया जाता है। भूले बिसरे पितरों के लिए पितृ मोक्ष अमावस्या को पिंडदान किया जाता है। जबकि, मातृ नवमीं को मातृ पितरों को तर्पण एवं श्राद्ध कर्म के लिए निर्धारित किया गया है। मातृ नवमीं को नर्मदा तटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार मातृ नवमीं के दिन तर्पण करने से मात़ृ ऋण से मुक्ति मिलती है। मातृ नवमीं तिथि में तीर्थ स्थलों में पिंडदान करने वालों की संख्या अधिक रहती है। पितृ पक्ष में इस दिन महिला वस्त्रों का दान, असहायों को भोजन एवं उनकी मदद से पितर प्रसन्न होते हैं। पितृ मोक्ष अमावस्या तिथि 28 सितंबर को सभी पितरों को तर्पण किया जाएगा। पितृ पक्ष में पितरों को संतृप्त करने के लिए संस्कारधानी में कई स्थानों पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
नर्मदा तट पर मेला
ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार के मातृ नवमीं के दिन मातृ पितरों को पिंडदान करने की प्रधानता है। मातृ पितरों को शांति प्रदान करने के लिए इस दिन पवित्र तीर्थ में विधि विधान से तर्पण करना चाहिए। नर्मदा तटों पर मातृ नवमीं को काफी संख्या में श्रद्धालु तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करने जाते हैं। अंतिम दिन पितृ मोक्ष अमावस्या को कुल के भूले बिसरे सभी पितरों को तर्पण कर सुख-शांति की कामना की जाती है। पितृ पक्ष में पितर वैकुंड धाम से धरती पर आते हैं। मंत्रोच्चार, पूजन और शांति से वे प्रसन्न होते हैं। पितृ पक्ष में परिवार में सात्विक भोजन बनाया जाना चाहिए और कलह, विवाद नहीं होना चाहिए। परिवार में अशांति के वातावरण में पितर संतुष्ट नहीं होते हैं। जिस परिवार के पितर असंतुष्ट होते हैं, उस परिवार में देवता संतुष्ट नहीं होते हैं, उपासना सार्थक नहीं होती है। ग्वारीघाट में सर्वाधिक लोग कर रहे हैं तर्पण नर्मदा तट ग्वारीघाट में काफी संख्या में लोग तर्पण करने पहुंच रहे हैं। जबकि, तिलवाराघाट, सरस्वती घाट, जिलहरीघाट, ल्हेटाघाट में भी लोग तर्पण करने पहुंच रहे हैं। तीर्थ पुरोहित अभिषेक मिश्रा ने बताया, पूर्व दिशा में देवता, उड्डार दिशा में ऋषि एवं दक्षिण दिशा में मुंह कर पितरों का तर्पण किया जाता है। जौ का आटा, काला तिल, कुशा के माध्यम से पिंडदान कर जल, दूध, चंदन, पुष्प से तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष में दान-पुण्य एवं सेवा कार्य करना चाहिए।
भागवत कथा में पितरों का आवाहन
श्रीमद् भागवत ग्रंथ के अनुसार इस कथा के श्रवण से सात पीढ़ी तृप्त हो जाती है। जिस परिवार में भागवत कथा होती है, वे अपने पितरों का आवाहन करते हैं और कथा श्रवण के लिए पितर वायु रूप में आते हैं। पितृ पक्ष में श्रीमद् भागवत कथा का महत्व और बढ़ जाता है। पितर प्रेत नहीं होते हैं जबकि, श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से धुंधकारी जैसी प्रेत को भी मोक्ष प्राप्त हो गया था। यहीं कारण है लोग श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कर रहे हैं।