वेदों में भी पेड़-पौधों और नदी, पोखरों का महत्व बताया गया है। शास्त्रों में धरा, नभ, पानी, पेड़-पौधे और औषधि को शांत रखने की बात कही गई है। शांत रखने का अर्थ यह है कि उक्त पांचों को प्रदूषण से बचाया जाए। यदि ये सब संरक्षित व सुरक्षित होंगे तो हमारा जीवन भी सुख और समृद्धि से भरा होगा।
सावन में इस बार चार विशेष योगों में हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। ज्योतिर्विदों के अनुसार गुरु पुष्य योग, सर्वार्थसिद्ध योग, सिद्धि एवं अमृत सिद्ध योग का विशेष संयोग बना है। इस अमावस्या को भगवान शिव-पार्वती की उपासना और पौधरोपण करना विशेष पुण्यकारी होता है। ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार चार विशेष संयोग वाली अमावस्या को धार्मिक अनुष्ठान एवं दान पुण्य करना अक्षय पुण्यकारी होगा।
इस शुभ योग पर मंदिरों में अनुष्ठान किए जाएंगे। सावन माह भगवान शिव का प्रिय है। इस माह में विशेष संयोग हो तो उपासना ज्यादा फलदायी होती है। हरियाली अमावस्या को व्रतधारी महिलाएं हरे रंग के परिधान में सोलह शृंगार कर भगवती पार्वती की पूजा करती हैं। सुहागिनें अखंड सौभाग्य एवं कन्याएं सुयोग्य वर प्राप्ति की कामना करती हैं। इस अमावस्या को मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि हरियाली अमावस्या को भगवान शिव पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इस दिन विभिन्न संस्थाएं भी आयोजन करेंगी।
नर्मदा तट में स्नान-दान
हरियाली अमावस्या के दिन ही स्नान-दान अमावस्या है। काफी श्रद्धालु पुण्य प्राप्ति के लिए नर्मदा जल में स्नान एवं आचमन करेंगे। तीर्थ पुरोहितों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पितरों को तर्पण किया जाएगा। इस दिन पितरों को श्राद्ध, तर्पण आदि पुण्य कर्म किए जाते हैं।
पौधरोपण से समृद्धि
हरियाली अमावस्या प्रकृति के प्रति कुछ योगदान देने का भी पर्व है। इस दिन हरियाली बढ़ाने के लिए कम से कम एक पौधा लगाना चाहिए। मंदिर परिसर में पौधरोपण ज्यादा पुण्यकारी होता है। मान्यता है कि हरियाली अमावस्या को लगाया गया पौधा, जैसे-जैसे बड़ा होता है, वैसे ही लगाने वाले व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है।