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खुश खबर…विदेशों में बैठे श्रावक भी कर सकेंगे सहस्त्रकूट जिनालय में पुण्र्याजन

locationजबलपुरPublished: Apr 09, 2019 02:05:04 am

Submitted by:

shyam bihari

आचार्य विद्यासागर के सान्निध्य में दयोदय तीर्थ में निर्माणाधीन सहस्त्रकूट जिनालय में पुण्र्याजन करने के इच्छुक श्रावक अब विदेश से भी सहयोग राशि ऑनलाइन भेज सकेंगे।

खुश खबर...विदेशों में बैठे श्रावक भी कर सकेंगे सहस्त्रकूट जिनालय में पुण्र्याजन

jain mandir

जबलपुर। आचार्य विद्यासागर के सान्निध्य में दयोदय तीर्थ में निर्माणाधीन सहस्त्रकूट जिनालय में पुण्र्याजन करने के इच्छुक श्रावक अब विदेश से भी सहयोग राशि ऑनलाइन भेज सकेंगे। आचार्यश्री के होली के दिन संस्कारधानी में आगमन के बाद देश-विदेश के श्रावकों की धर्म प्रभावना को देखते हुए सहस्त्रकूट जिनालय की वेबसाइट बनायी जा रही है। दयोदय तीर्थ में प्राचीन पद्वति से तीन मंजिला त्रिकाल चौबीसी एवं सहस्त्रकूट जिनालय का निर्माण किया जा रहा है। राजस्थानी पत्थरों एवं चूना से निर्मित होने वाले जिनालय में 1008 प्रतिमाएं स्थापित होनी हैं, जिनमें 700 से अधिक श्रावकों ने प्रतिमाएं स्थापित करने के संकल्प ले लिया है। इसी प्रकार देश के विभिन्न राज्यों में 17 सहस्त्रकूट जिनालयों के भूमि पूजन के बाद निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। 3-5 से वर्ष में जिनालयों के निर्माण पूर्ण होने की संभावना है।
विश्व में स्थापित होगा कीर्तिमान
दिगम्बर जैन समाज के प्रवक्ता अमित पड़रिया ने बताया, आचार्यश्री के सान्निध्य में सभी सहस्त्रकूट जिनालयों में 17200 प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। किसी आचार्य के सान्निध्य में अष्टधातु की इतनी प्रतिमाएं स्थापित करने का विश्व में कीर्तिमान स्थापित होगा। 50 से 65 किग्रा की प्रतिमाएं बनायी जा रही हंै। प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लेने वालों के नाम पूर्णता की ओर हैं। दयोदय तीर्थ में पद्मासन और खड़ासन प्रतिमाओं के मॉडल भी आ गए हैं। जिनालयों के पंचकल्याणक से पूर्व सभी प्रतिमाओं को अंतिम आकार व स्वरूप प्रदान किया जाएगा। सहस्त्रकूट जिनालय निर्माण में सक्रिय संदेश जैन ने बताया, सहस्त्रकूट जिनालय के निर्माण एवं प्रतिमा स्थापना में पुण्र्याजकों की सुविधा के लिए वेबसाइट बनायी जा रही है। इस वेबसाइट में जिनालय के निर्माण सहित अन्य जानकारियां होंगी। सभी प्रतिमाओं की प्रशस्ति में पुण्र्याजक परिवारों के नाम लिखे जाएंगे।
मुख्य बातें
आचार्य विद्यासागर के सान्निध्य में 17 हजार प्रतिमाएं स्थापित करने का बनेगा विश्व रेकॉर्ड
आचार्य सहस्त्रकूट की बन रही वेबसाइट, ऑनलाइन सहयोग राशि भेज सकेंगे श्रावक
आचार्य सात सौ से अधिक श्रावकों ने लिया प्रतिमा स्थापना का संकल्प, स्थापित होंगी 1008 प्रतिमाएं
श्रावकों ने भेंट किया रजतपत्र पर रचित समयसार ग्रंथ

‘समयसार एक अनमोल निधि है। इसे कागज के स्थान पर सोने-चांदी में रच देने पर भी कोई अंतर नहीं पड़ता। ऐसा इसलिए क्योंकि उसके मूलार्थ या स्वाद में कोई फर्क नहीं पड़ता। उक्त उद्गार आचार्य विद्यासागर ने दयोदय तीर्थ में सोमवार को मंगल प्रवचन में व्यक्त किए। दयोदय तीर्थ में श्रावकों ने रजतपत्र पर रचित सयमसार ग्रंथ भेंट किया। आचार्यश्री ने रजतपत्र पर रचित समयसार ग्रहण करने के बाद शुक्ल पक्ष के चन्द्रमा की प्रथम दिवस की कला से लेकर दूज सहित पूर्णकालिक कला तक का जिक्र करते हुए धर्मसभा का ज्ञानवर्धन किया। इसके साथ ही सम्यक-दर्शन को लेकर भी महत्वपूर्ण सूत्र दिए। ग्रंथ भेंट करने के दौरान श्री वर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल, पिसनहारी की मढिय़ा के ब्रह्मचारी त्रिलोक जैन सहित अन्य ब्रह्मचारी व आर्यिकारत्न मौजूद रहे। इस खेमचंद जैन, विनोद कुमार जैन, रमेशचंद जैन, कोमल चंद जैन, संदेश जैन, मल्ल कुमार जैन व अमित पड़रिया सहित आदि लोग उपस्थित थे।
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